Ad- Vocacy Journalism: बुधवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज में ‘हरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज्म: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज’ पुस्तक का लोकार्पण किया. उन्होंने एडवोकेसी पत्रकारिता की बदलती भूमिका और समाज पर इसके प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि दृढ़ निश्चय, रचनात्मकता और लगातार प्रयास और सामाजिक दायित्व के तहत प्रभात खबर में काम करने का फैसला लिया और टीम के साथियों के सहयोग से पाठकों तक पहुंचने और सार्थक प्रभाव डालने के तरीके खोज कर अखबार को खड़ा करने में सफलता हासिल की. इस किताब में प्रभात खबर की वह सारी बातें शामिल है, जो आमजन और समाज के सरोकारों के साथ मिलकर काम करता है.
हरिवंश ने कहा कि अब समय तेजी से बदल रहा है. अब तकनीक का युग है और इस युग में वही टिक सकता है जो बदलती तकनीक के साथ खुद को ढाल सके. तकनीकी बदलाव को आत्मसात नहीं करने वाले पीछे रह जायेंगे. यह पुस्तक युवाओं को संदेश देती है कि वे चुनौतियों को अपनाएं, नयी सोच रखें और बदलते समय के अनुसार अपने भविष्य को संवारने का काम करें. तकनीक दुनिया को भी बदल रही है. चीन ने हाल के वर्षों में तकनीक के क्षेत्र में काफी तरक्की की है. अमेरिका भी इस मामले में पीछे दिख रहा है. लेकिन अच्छी बात है कि वर्ष 2014 के बाद भारत में हालात काफी बदले हैं. तकनीक के साथ देश में काफी बदलाव आया है और भारत की बढ़ती ताकत दुनिया के कई देशों को परेशान कर रही है.
इस मौके पर मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज के कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने कहा कि हर व्यक्ति की पहचान केवल उनके शब्दों या कार्यों से नहीं बल्कि उनके द्वारा किये गये काम से बनती है. बोलने से पहले ही उनकी मौजूदगी प्रभाव डालती है. वर्षों से हरिवंश का प्रेरक व्यक्तित्व और दूरदर्शी नेतृत्व ने लगातार पीढ़ियों को प्रभावित किया है, सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है और भारत में एडवोकेसी पत्रकारिता के क्षेत्र को आकार दिया है.
छात्रों के साथ चर्चा करते हुए उपसभापति ने कहा कि एक संवादात्मक सामाजिक बदलाव लाने में साहसिक विचारों के साथ लगातार प्रयास होना चाहिए. उन्होंने फ्रांस में हुई क्रांतियों जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे नए विचारों ने समाजों को आकार दिया और लोगों को प्रभावित किया. सत्र का संचालन प्रसिद्ध लेखक और मीडिया सलाहकार नवीन चौधरी ने किया, जिन्होंने लेखक की ओर से एक संक्षिप्त नोट पढ़ा और चर्चा को मार्गदर्शन प्रदान किया, जिससे भारत में एडवोकेसी पत्रकारिता के विकास और प्रभाव पर गहरी समझ मिली. इस किताब के लेखक पेशेवर मीडिया मार्केटिंग प्रोफेशनल एएस रघुनाथ हैं. लगभग पांच दशक के अपने करियर में हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तेलुगु, मराठी, उड़िया भाषा में प्रकाशित अखबारों और कई शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े रहे हैं. कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर शिल्पी झा, डीन, स्कूल ऑफ मीडिया एंड ह्यूमैनिटीज, द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ किया.

