तीस हजारी अदालत परिसर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मैंने CJI को एक पत्र लिखा, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था. पता नहीं किसे कहां से पता चला और खबर बना दी कि कानून मंत्री ने CJI को पत्र लिखा कि कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए. इस बात का कोई सिर-पैर नहीं. मैं कहां से उस प्रणाली में एक और व्यक्ति डाल दूंगा.
किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि भारत में लोकतंत्र सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि मजबूती से आगे चले उसके लिए एक मजबूत और आजाद न्यायपालिका का होना जरूरी है. न्यायपालिका की आज़ादी को कमजोर या उसके अधिकार, सम्मान और गरिमा को कम करेंगे तो लोकतंत्र सफल नहीं होगा.
चूंकि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि चूंकि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन लोग उन्हें देखते हैं और न्याय देने के तरीके से उनका आकलन करते हैं. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कॉलेजियम प्रणाली से न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर हालिया समय में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच गतिरोध बढ़ा है.
सोशल मीडिया के कारण आम नागरिक सरकार से सवाल पूछते हैं
रीजीजू ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण आम नागरिक सरकार से सवाल पूछते हैं और उन्हें ऐसा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार पर हमला किया जाता है और सवाल किया जाता है ‘‘और हम इसका सामना करते हैं.’’ अगर लोग हमें फिर से चुनते हैं, तो हम सत्ता में वापस आएंगे. अगर वे नहीं चुनते हैं, तो हम विपक्ष में बैठेंगे और सरकार से सवाल करेंगे.
कानून मंत्री ने कहा कि दूसरी ओर यदि कोई व्यक्ति न्यायाधीश बनता है तो उसे चुनाव का सामना नहीं करना पड़ता है. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीशों की सार्वजनिक पड़ताल नहीं होती है.’’ उन्होंने कहा कि चूंकि लोग आपको नहीं चुनते हैं, वे आपको बदल नहीं सकते. लेकिन लोग आपको आपके फैसले, जिस तरह से आप फैसला सुनाते हैं उसके जरिए देखते हैं और आकलन करते हैं तथा राय बनाते हैं.
भाषा इनपुट के साथ