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देशद्रोह कानून पर लग सकती है अस्थायी रोक, सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता से पूछा कि जब तक इस देशद्रोह कानून पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, केंद्र सरकार राज्यों से क्यों नहीं कहती कि इस कानून के तहत अभी कार्रवाई न करें.

Sedition Law: देशद्रोह कानून (Sedition Law) पर अस्थायी रोक लगायी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने इसके संकेत दिये. सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह संबंधी कानून पर पुनर्विचार होने तक नागरिकों के हितों की रक्षा को लेकर केंद्र से जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता से पूछा कि जब तक इस कानून पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक केंद्र सरकार राज्यों से क्यों नहीं कहती कि इस कानून के तहत अभी कार्रवाई न करें.

संप्रभुता और अखंडता से जुड़ा है मामला

इस पर तुषार मेहता ने कहा कि वह केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा कि इस कानून के बारे में दिशानिर्देश जारी किये जा सकते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि केंद्र बुधवार को इस सुझाव पर जवाब दाखिल करेगा कि पुनर्विचार किये जाने तक राजद्रोह के मामलों को दायर करने पर अस्थायी रोक लगायी जाये. इससे पहले तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी और फिर इसके कार्यान्वयन के स्तर पर भी विचार करना होगा, क्योंकि यह संप्रभुता और अखंडता से जुड़ा मामला है.

देशद्रोह कानून के दुरुपयोग पर व्यक्त की जा रही चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है कि देशद्रोह कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है. अटॉर्नी जनरल ने खुद कहा है कि हनुमान चालीसा विवाद में इस कानून के तहत कार्रवाई की गयी. कोर्ट ने कहा कि शपथपत्र में कहा गया है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है. आप इस संबंध में क्या कहेंगे?

Also Read: फिर देशद्रोह कानून को हटाने पर चर्चा तेज, जानें क्यों उठ रही है मांग ? क्या है इस कानून में ?
तीन-चार महीने में पुनर्विचार का काम पूरा करे केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि पुनर्विचार के काम को तीन से चार महीने के भीतर पूरी कर लें. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि जब तक इस मामले में कोई अंतिम नतीजा नहीं निकल जाता, तब तक राज्यों को यह निर्देश दिया जाये कि 124A के तहत कोई कार्रवाई न की जाये.


हनुमान चालीसा विवाद में लगा दी देशद्रोह की धारा

बता दें कि महाराष्ट्र के अमरावती की सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान किया. हालांकि, उन्होंने बाद में अपना ऐलान वापस ले लिया, लेकिन शिव सेना की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी सरकार की पुलिस ने इसे राज्य की सत्ता को चुनौती के रूप में लिया.

राणा दंपती की गिरफ्तारी के बाद देशद्रोह कानून पर छिड़ा विवाद

नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को देशद्रोह कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. राणा दंपती की गिरफ्तारी को राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तरह से परिभाषित किया है. मामला सेशन कोर्ट से बंबई हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. यहां केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल ने खुद माना कि हनुमान चालीसा पढ़ने के विवाद में देशद्रोह कानून का दुरुपयोग किया गया है. इधर, केंद्र सरकार ने कहा है कि वह राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार है.

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