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24 साल से लापता भारतीय सैनिक को 81 वर्षीय मां ने लगाई ढूंढने की गुहार, SC ने केंद्र को भेजा नोटिस

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायाधीश एसए बोपन्ना और न्यायाधीश बी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील सौरभ मिश्रा ने कहा कि कैप्टन भट्टाचार्जी को पाकिस्तान के अनाम जेल में बंद रखा गया है.

  • कैप्टन संजीत 19-20 अप्रैल, 1997 की रात अपने दस्ते के साथ भारत-पाक सीमा पर कच्छ के रण में पेट्रोलिंग के लिए निकले थे.

  • याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कैप्टन भट्टाचार्जी को पाकिस्तान के अनाम जेल में बंद रखा गया है.

  • सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

लगभग 24 साल तक बेटे, भारतीय सेना के कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी का इंतजार करने के बाद 81 वर्षीया मां ने वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सरकार और रक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गयी है कि वे कैप्टन संजीत का पता लगाकर परिवार को जानकारी दें. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायाधीश एसए बोपन्ना और न्यायाधीश बी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील सौरभ मिश्रा ने कहा कि कैप्टन भट्टाचार्जी को पाकिस्तान के अनाम जेल में बंद रखा गया है. भारत सरकार उनकी वतन वापसी का कोई प्रयास नहीं कर रही है. यह मानवाधिकार का उल्लंघन है. खंडपीठ ने कुछ और रिकॉर्ड लाने को कहा, ताकि शीर्ष अदालत उनके बारे में भी जानकारी हासिल कर सके और आगे की कार्रवाई की जा सके.

अदालत ने केंद्र और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसी के साथ याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कैप्टन संजीत के साथ लांस नायक राम भड़ाना थापा भी गायब हो गए थे और उनका भी अभी तक पता नहीं चल पाया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से ऐसे लापता सैनिकों की लिस्ट भी सौंपने को कहा है. कैप्टन भट्टाचार्य के लापता होने के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान की सरकार से औपचारिक रूप से संपर्क किया था, लेकिन निश्चित रूप से, पाकिस्तानी के अधिकारियों ने उनकी गिरफ्तारी की बात से इनकार कर दिया और तब से सरकार कोई अन्य कार्रवाई करने में भी लगातार विफल रही है.

दस्ते में शामिल लांस नायक थापा भी हैं लापता

गौरतलब है कि कैप्टन संजीत 19-20 अप्रैल, 1997 की रात अपने दस्ते के साथ भारत-पाक सीमा पर कच्छ के रण में पेट्रोलिंग के लिए निकले थे. उस समय उनके दस्ते में कैप्टन संजीत, लांस नायक राम बहादुर थापा के अलावा 15 सैनिक थे. जानकारी के अनुसार अगले दिन जब दस्ता कैंप में लौटा, तो कैप्टन संजीत और लांस नायक थापा उसमें नहीं थे. तब से ही दोनों अब तक लापता हैं.उनकी कोई जानकारी नहीं मिली है. इस मसले को लेकर कई सालों से सवाल उठाये जाते रहे हैं. अब सुप्रीम कोर्ट में मां की याचिका पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया है.

मां ने कहा – बात स्पष्ट नहीं कर रही सरकार

भट्टाचार्य की मां ने याचिका में कहा है कि सरकार इस बात को साफ नहीं कर रही है कि उनके बेटे की मौत हो गयी है या वह पाकिस्तान की जेल में बंद है. उनका कहना है अगर वह पाकिस्तान की जेल में बंद हैं, तो सरकार को उन्हें वापस लाने की कोशिश करनी चाहिए. दरअसल, वर्ष 2005 में रक्षा मंत्रालय ने कैप्टन संजीत को मृत घोषित कर दिया था, लेकिन 2010 में राष्ट्रपति सचिवालय ने उनकी मां को चिट्ठी लिख कर जानकारी देते हुए बताया कि अब उनके बेटे का नाम प्रिजनर ऑफ वॉर्स (युद्धबंदी) में शामिल कर दिया गया है.

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