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पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई बनेंगे राज्यसभा सांसद, राम मंदिर पर दिया था ऐतिहासिक फैसला

रंजन गोगोई (RanjanGogoi) ने रिटायर होने से पहले अपनी अध्‍यक्षता में अयोध्‍या मामले की सुनवाई की थी और फैसला भी सुनाया. अयोध्या के अलावा उन्होंने असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस आरटीआई के दायरे में आदि महत्‍वपूर्ण फैसले लिये.

नयी दिल्‍ली : भारत के पूर्व प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई राज्‍यसभा जाएंगे. राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई का नाम राज्‍यसभा के लिए मनोनीत किया है. मालूम हो रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट प्रधान न्‍यायाधीश के पद से रिटायर हुए थे. ज्ञात हो राष्‍ट्रपति की ओर से 12 सदस्‍य राज्‍यसभा के लिए मनोनीत किये जाते हैं, जो विभिन्‍न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्‍तियां होती हैं.

गौरतलब है कि रंजन गोगोई ने ही रिटायर होने से पहले अपनी अध्‍यक्षता में अयोध्‍या मामले की सुनवाई की थी और फैसला भी सुनाया. अयोध्या के अलावा उन्होंने असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस आरटीआई के दायरे में आदि महत्‍वपूर्ण फैसले लिये.

रंजन गोगोई 3 अक्तूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश बने थे. जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ था. उन्होंने 1978 में बतौर वकील अपना पंजीकरण कराया और गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत करने लगे.

इसके बाद 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज बने. 9 सितंबर 2010 को उनका ट्रांसफर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में हुआ. 12 फरवरी 2011 को उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायधीश का पद संभाला. इसके बाद, 23 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए.

जस्टिस गोगोई के पिता केशब चंद्र गोगोई असम में कांग्रेस के बड़े नेता रह चुके हैं. वर्ष 1982 में दो महीने के लिए वह मुख्यमंत्री रहे. डिब्रूगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके केशब चंद्र का पांच अगस्त 1998 को निधन हुआ. मूल रूप से असम के रहने वाले जस्टिस गोगोई, पूर्वोत्‍तर भारत से देश के पहले चीफ जस्टिस बने.

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