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2022 में कितने कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ा, गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में दी जानकारी

केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों का जिलावार विवरण भी दिया है. इसमें बताया गया है कि किस जिले में कितने कश्मीर पंडित रह रहे हैं. 20 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों में बताया गया है कि अनंतनाग में 808 कश्मीरी पंडित रह रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया है कि वर्ष 2022 में जम्मू-कश्मीर से कोई भी कश्मीरी पंडित बाहर नहीं गया. यानी किसी कश्मीरी पंडित ने घाटी नहीं छोड़ी. एक सवाल के लिखित जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी. गृह मंत्रालय ने बताया कि इस वक्त घाटी में 6,514 कश्मीरी पंडित रह रहे हैं.

कश्मीरी पंडितों का जिलावार विवरण

केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों का जिलावार विवरण भी दिया है. इसमें बताया गया है कि किस जिले में कितने कश्मीर पंडित रह रहे हैं. 20 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों में बताया गया है कि अनंतनाग में 808 कश्मीरी पंडित रह रहे हैं.

Also Read: जम्मू-कश्मीर में हिंदू शिक्षिका की गोली मारकर हत्या, फिर सामूहिक पलायन करेंगे कश्मीरी पंडित?

सबसे ज्यादा 2,639 कश्मीरी पंडित कुलगाम में

कुलगाम जिला में सबसे ज्यादा 2,639 कश्मीरी पंडित रह रहे हैं. पुलवामा में 579, शोपियां में 320, श्रीनगर में 455, गंदेरबल में 130, कुपवाड़ा में 19, बांदीपोरा में 66, बारामूला में 294 और बड़गाम में 1,204 कश्मीरी पंडित हैं.

90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को खदेड़ा गया

उल्लेखनीय है कि 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को एक साजिश के तहत वहां से खदेड़ दिया गया था. कश्मीरी पंडितों का कत्ल-ए-आम किया गया. जो भाग गये, उनकी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया है. औने-पौने दाम पर उनकी संपत्तियां खरीद ली गयी.

भाजपा सरकार ने घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी का बीड़ा उठाया

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद कश्मीरी पंडितों को वहां बसाने का निर्णय लिया. काफी संख्या में कश्मीरी पंडितों की वापसी हुई. जिन लोगों की जमीनें औने-पौने दाम पर खरीद ली गयीं थीं, उनकी जमीनों पर उन्हें कब्जा दिलाने की कवायद शुरू की गयी.

ऑनलाइन पोर्टल के जरिये संपत्ति पर दावा कर रहे कश्मीरी पंडित

अपने ही घर से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों से कहा गया कि वे अपनी संपत्ति का विवरण दें, ताकि उनकी वापसी के लिए केंद्र सरकार कदम उठा सके. इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया और देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडितों को अपनी संपत्ति पर दावा करने का अवसर दिया गया.

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