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मुंबई विस्फोटों के दोषी यूसुफ मेमन की जेल में मौत, जानें पूरा घटनाक्रम

वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में दोषी और भगोड़ा आरोपी टाइगर मेमन के भाई यूसुफ मेमन की महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित नासिक रोड जेल में शुक्रवार को मौत हो गई . जेल के एक अधिकारी ने बताया कि मौत के कारणों का अभी पता लगाया जाना बाकी है और उसका शव पोस्टमॉर्टम के लिए धुले भेजा जाएगा.

मुंबई : वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में दोषी और भगोड़ा आरोपी टाइगर मेमन के भाई यूसुफ मेमन की महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित नासिक रोड जेल में शुक्रवार को मौत हो गई . जेल के एक अधिकारी ने बताया कि मौत के कारणों का अभी पता लगाया जाना बाकी है और उसका शव पोस्टमॉर्टम के लिए धुले भेजा जाएगा.

नासिक के पुलिस आयुक्त विश्वास नांग्रे पाटिल ने यूसुफ मेमन की मौत की पुष्टि की. टाइगर मेमन और भगोड़ा गैंगस्टर दाऊद इब्राहीम को जहां मुंबई विस्फोटों का मास्टरमाइंड बताया जाता है, वहीं यूसुफ पर मुंबई में अल हुसैनी बिल्डिंग स्थित अपने फ्लैट और गैराज को आतंकी गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराने का आरोप था.

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विशेष टाडा अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मामले में गिरफ्तार एक और मेमन बंधु याकूब मेमन को 2015 में फांसी दे दी गई थी. मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए बम विस्फोटों में कम से कम 250 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे.

देश पर हुए अब तक के इस भीषणतम आतंकवादी हमले के कई षड्यंत्रकारियों और साजिशकर्ताओं में शामिल अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम, उसका बेहद करीबी छोटा शकील और याकूब मेमन का बडा भाई टाइगर मेमन अभी तक फरार हैं और समझा जाता है कि ये सभी पाकिस्तान में शरण लिये हुये हैं. घटनाक्रम इस प्रकार है –

12 मार्च 1993 : एक के बाद एक हुए 12 बम धमाकों ने मुंबई को दहलाया, जिसमें 257 लोग मारे गये और 713 अन्य जख्मी हुए.

19 अप्रैल 1993 : अभिनेता संजय दत्त (आरोपी संख्या-117) गिरफ्तार.

04 नवंबर 1993 : दत्त सहित 189 आरोपियों के खिलाफ 10,000 से ज्यादा पन्ने का प्राथमिक आरोप-पत्र दाखिल किया गया.

19 नवंबर 1993 : मामला सीबीआई को सौंपा गया.

01 अप्रैल 1994 : टाडा अदालत ने शहर की सत्र एवं दीवानी अदालत से आर्थर रोड सेंट्रल जेल परिसर के भीतर एक अलग इमारत में काम करना शुरू किया.

10 अप्रैल 1995 : टाडा अदालत ने 26 आरोपियों को आरोप-मुक्त किया. बाकी आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर. उच्चतम न्यायालय ने दो और आरोपियों – ट्रेवल एजेंट अबु आसिम आजमी (अब समाजवादी पार्टी के विधायक) और अमजद मेहर बक्श को आरोप-मुक्त किया.

19 अप्रैल 1995 : सुनवाई की शुरुआत.

अप्रैल-जून 1995 : आरोपियों के खिलाफ आरोप तय.

30 जून 1995 : दो आरोपी – मोहम्मद जमील और उस्मान झनकनन इस मामले में सरकारी गवाह बने.

14 अक्तूबर 1995 : उच्चतम न्यायालय ने दत्त को जमानत दी.

23 मार्च 1996 : न्यायमूर्ति जे एन पटेल का तबादला. उन्हें उच्च न्यायालय के जज के तौर पर तरक्की दी गई.

29 मार्च 1996 : पी डी कोडे को इस मामले की सुनवाई के लिए टाडा की विशेष अदालत का न्यायाधीश नामित किया गया.

अक्तूबर 2000 : 684 सरकारी गवाहों से जिरह संपन्न.

09 मार्च-18 जुलाई 2001 : अभियुक्तों ने अपने बयान दर्ज कराये.

09 अगस्त 2001 : अभियोजन ने बहस की शुरुआत की.

18 अक्तूबर 2001 : अभियोजन ने अपनी बहस पूरी की.

09 नवंबर 2001 : बचाव पक्ष ने बहस की शुरुआत की.

22 अगस्त 2002 : बचाव पक्ष ने अपनी बहस पूरी की.

20 फरवरी 2003 : दाउद के गिरोह के सदस्य एजाज पठान को अदालत में पेश किया गया.

20 मार्च 2003 : मुस्तफा दोसा की रिमांड कार्यवाही और सुनवाई को अलग कर दिया गया.

सितंबर 2003 : सुनवाई संपन्न. अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा.

Posted By- Pankaj Kumar Pathak

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