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MCD Merger: एमसीडी के विलय पर बोले अरविंद केजरीवाल, स्टडी के बाद जरूरत पड़ी तो कोर्ट में देंगे चुनौती

MCD Merger दिल्ली के बजट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के तीनों निगमों के विलय के लिए लाए गए विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट जाएंगे.

MCD Merger दिल्ली के बजट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के तीनों निगमों के विलय के लिए लाए गए विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि संसद में जो बिल पेश हुआ उसमें दो बातें हैं. उन्होंने 272 वार्ड को घटाकर 250 कर दिया है, जिसका कोई तर्क नहीं है. यह चुनाव टालने के लिए किया गया है. दूसरी बात है कि पूरी एमसीडी (MCD) अब केंद्र सरकार चलाएगी, जो संविधान के खिलाफ है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट जाएंगे.

दिल्ली में अगले 5 साल में 20 लाख नए रोजगार का लक्ष्य: केजरीवाल

वहीं, दिल्ली के बजट (Delhi Budget 2022) पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 7 सालों में दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने लगभग 12 लाख रोजगार तैयार किए हैं. जिसमें से 1.78 लाख सरकारी (Sarkari Naukari 2022) और लगभग 10 लाख प्राइवेट सेक्टर (Jobs in Private Sector) में थे. इस बजट में अगले 5 साल में 20 लाख नए रोजगार बनाने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में 1.68 करोड़ लोग रोजगार के लिए सक्षम हैं. इनमें से 33 फीसदी लोगों के पास रोजगार है जिसे हमको 45 फीसदी तक ले जाना है.


केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया बिल

बता दें कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने का बिल शुक्रवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया. जिसको लेकर विपक्षी पार्टी ने सरकार पर हमला बोला है और सरकार के इस कदम को असंवैधानिक बताया है. विपक्षी पार्टियों ने इस कदम को संसद के वैधानिक शक्ति से बाहर है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया था. नित्यानंद राय ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239एए के तहत संसद को दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित कानून में संशोधन का अधिकार है.

दिल्ली विधानसभा में ही पारित हुआ था विभाजन का बिल

दिल्ली के नगर निगमों के विभाजन का बिल दिल्ली विधानसभा में ही पारित हुआ था और इसे एक करने का बिल लोकसभा में पेश किया गया है. दिल्ली की एमसीडी का विभाजन वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार ने किया था. इसका उद्देश्य राजधानी के लोगों को बेहतर नागरिक सेवाएं मुहैया कराना था. अब इसे एक करने का बिल लोकसभा में पेश हुआ है. केंद्र सरकार ने यह बिल दिल्ली के तीनों नगर निगमों में एक महीने पहले लोकसभा में लाया गया है. जिसको लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) बीजेपी (BJP) पर हमलावर है.

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