33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

मनीष सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से उठाया पीएम की डिग्री का मामला, पढ़ें, देश के नाम लिखी पूरी चिट्ठी

जब प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जाहज को रडार नहीं पकड़ सकता, तो पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं. स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाते हैं. उनके इस तरह के बयान देश के लिए खतरनाक है.

नई दिल्ली : दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में राष्ट्रीय राजधानी स्थिति तिहाड़ जेल से मनीष सिसोदिया ने देश के नाम चिट्ठी लिखते हुए एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का मुद्दा उठाया है. उन्होंने देश के नाम अपनी चिट्ठी में लिखा है कि आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. दुनिया भर में विज्ञान और टेक्नोलॉजी में हर रोज नई तरक्की हो रही है. सारी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (एआई) की बात कर रही है. ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्री जी को ये कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में पाइप डालकर उसकी गंदी गैसे चाय या खाना बनाया जा सकता है, तो मेरा दिल बैठ जाता है. उन्होंने लिखा कि क्या कि नाली की गंदी गैसे से चाय या खाना बनाया जा सकता है? नहीं.

पीएम का बयान देश के लिए खतरनाक

मनीष सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा है कि जब प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जाहज को रडार नहीं पकड़ सकता, तो पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं. स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाते हैं. उनके इस तरह के बयान देश के लिए खतरनाक है.

कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री देश के लिए खतरनाक

उन्होंने आगे लिखा कि इसके कई नुकसान हैं- जैसे पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है. दूसरे देख्शों के राष्ट्राध्यक्ष जब प्रधानमंत्री जी से गले मिलते हैं, तो एक-एक झप्पी की भारी कीमत लेकर चले जाते हैं. बदले में न जाने कितने कागजों पर साइन करवा लेते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जी तो समझ ही नहीं पाते, क्योंकि वो तो कम पढ़े-लिखे हैं.

कम पढ़ा-लिखा पीएम युवाओं के सपने को पूरा करेगा

उन्होंने आगे लिखा कि आज देश का युवाव एसपाइरेशनल है. वो कुछ करना चाहता है. वो अवसर की तलाश में है. वो दुनिया को जीतना चाहता है. साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कमाल करना चाहता है. क्या एक कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है?

पूरे देश में 60,000 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में देश भर में 60,000 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए. क्यों? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही है, तो सरकारी स्कूलों की संख्या तो बढ़नी चाहिए थी? अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाता तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट से निकालकर सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर देते, जैसा कि अब दिल्ली में होने लगा है, लेकिन देश भर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है. इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं. अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे, तो क्या भारत तरक्की कर सकता है? कभी नहीं.

Also Read: Money Laundring Case: मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने 14 दिनों के लिए बढ़ाई न्यायिक हिरासत

देश के मैनेजर को पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए?

उन्होंने लिखा मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी एक वीडियो देखा था, जिसमें वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं. केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई. क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है? जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम नहीं किया जाएगा. हाल के वर्षों में 60,000 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया जाना इस बात का जीता-जागता प्रमाण है. ऐसे में मेरा भारत कैसे तरक्की करेगा. उन्होंने लिखा कि आ अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही ढूंढ़ते हैं. क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें