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जस्टिस एनवी रमना हो सकते हैं देश के अगले चीफ जस्टिस, सीजेआई एसए बोबडे ने की राष्ट्रपति से सिफारिश

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI,सीजेआई) जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के वरिष्ठतम न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एनवी रमना को अगले चीफ जस्टिस (CJI, सीजेआई) नियुक्त करने की सिफारिश की है.

  • जस्टिस एनवी रमना हो सकते हैं अगले चीफ जस्टिस

  • जस्टिस एसए बोबडे ने की राष्ट्रपति से सिफारिश

  • सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं न्यायमूर्ति रमना

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI,सीजेआई) जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के वरिष्ठतम न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एनवी रमना को अगले चीफ जस्टिस (CJI, सीजेआई) नियुक्त करने की सिफारिश की है.

गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रमना ने 17 फरवरी, 2014 को यह पद ग्रहण किया था. वहीं, उनका कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 को खत्म हो रहा है. बता दें, जस्टिस रमना ने फरवरी 1983 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में बतौर वकील काम करना शुरू किया था. इसके अलावा उन्होंने कई सरकारी संगठनों में बतौर पैनल वकील काम किया है.

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति : ऐसे में अब सवाल है कि भारत में सुप्रीम कोर्ट के जज की चयन प्रक्रिया क्या होती है. और जजों की नियुक्ति कैसे होती है. दरअसल, भारत में सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्त भारतीय संविधान के अधिनियम संख्या 124 सेक्शन दो के अंतर्गत होती है. जिसके तहत मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह लेगा. जबकि, अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पड़ेगी.

सुप्रीम कोर्ट में अन्य जजों की नियुक्ति के लिए भारत के राष्ट्रपति को सीजेआई से सलाह लेनी ही होगी. लेकिन सलाह से पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श लेना होगा. चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के परामर्श के आधार पर ही सीजेआई राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के भावी चीफ जस्टिस को तात्कालिक समय में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में शामिल होना अनिवार्य होता है.

न्यायाधीश होने के लिए योग्यताएं

  • वो भारत का नागरिक हो.

  • कम से कम पांच साल के लिए उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो, या दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच सालों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो.

  • या किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो.

  • या वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवत्ता होना चाहिए.

  • उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए किसी भी प्रदेश के उच्च न्यायालय में बतौर न्यायाधीश पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है.

Posted by: Pritish Sahay

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