13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

J&K: अलगाववादी खेमे की सियासत अब किस ओर जाएगी, गिलानी ने आखिर हुर्रियत को अलविदा क्यों कहा?

कश्मीर में आर्टिकल-370 रद्द किए जाने के बाद से सियासी हालातों में बदलाव हो रहे हैं, तो वहीं अलगाववादी खेमे की सियासत में सबसे बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कांफ्रेंस ने खुद को अलग कर लिया है. पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सियासत के प्रमुख ध्रुव रहे गिलानी के इस्तीफे से तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

कश्मीर में आर्टिकल-370 रद्द किए जाने के बाद से सियासी हालातों में बदलाव हो रहे हैं, तो वहीं अलगाववादी खेमे की सियासत में सबसे बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कांफ्रेंस ने खुद को अलग कर लिया है. पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सियासत के प्रमुख ध्रुव रहे गिलानी के इस्तीफे से तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी 47 सेकेंड के एक ऑडियो क्लिप में गिलानी ने कहा कि हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के अंदर बने हुए हालात के कारण मैं पूरी तरह से इससे अलग होता हूं. हुर्रियत नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम लिखे विस्तृत पत्र में गिलानी ने इस बात का खंडन किया है कि वह सरकार की सख़्त नीति या फिर अपनी ख़राब सेहत के कारण अलग हो रहे हैं.

बता दें कि, 91 साल के गिलानी की सेहत भी पिछले दिनों से ठीक नहीं है. कई बार उनकी सेहत को लेकर अफवाहें भी उड़ीं थी, हालांकि वे बाद में ठीक हो गए. गिलानी हमेशा विवादों में रहे हैं. 6 साल पहले यानी 2014 में उन्होंने कहा था कि, कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है. गिलानी और कुछ दूसरे हुर्रियत नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लश्कर-ए-तैयबा से कथित तौर पर फंड लेने पर मामले में जांच भी की थी. गिलानी पर आरोप था कि, उन्‍होंने जम्मू एवं कश्मीर में विध्‍वसंक गतिविधियों के लिए ये पैसे लिए.

27 साल बाद इसीलिए छोड़ी पार्टी

एक रिपोर्ट के मुताबिक, गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 27 साल बाद इसीलिए छोड़ी क्योंकि पाकिस्तान ने उन्हें बिलकुल दरकिनार कर दिया था. केंद्रीय मंत्रालय में पाकिस्तान डेस्क को संभालने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से एनडीटीवी ने लिखा है कि आईएसआई का ध्यान अब कश्मीरियों के लिए नहीं बल्कि पैन इस्लामिक है. और इसके लिए वे एक ऐसा नेता चाहते हैं जो उनसे सवाल न करे और सिर्फ उनके आदेश का पालन करे. बताया जा रहा है कि गिलानी ने हुर्रियत के अंदर बने दो गुटों के चलते इस्तीफा दिया है. पिछले एक साल से हुर्रियत के अंदर काफी गर्म माहौल चल रहा था. ऐसे में अब गिलानी का इस्तीफा देना कई सवाल खड़े कर रहा है.

हालांकि इस्तीफे को लेकर गिलानी किसी से बात नहीं कर रहे. गिलानी का इस्तीफा कश्मीर में बदलते हालात और पाकिस्तान के सिमटते प्रभाव का भी बड़ा सुबूत है. कभी एक आदेश पर कश्मीर को बंद करवा देने वाले गिलानी के हड़ताली फरमान अब न आम लोगों को रास आ रहे हैं और न ही असर छोड़ पा रहे हैं. साफ है कि कश्मीर में गिलानी और पाकिस्तानी परस्त सियासत के अस्त होने का समय हो चुका है।

15 साल तक रहे विधायक

गिलानी 15 सालों तक पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य रहे थे. वह जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करते थे जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. उन्होंने 1989 में सशस्त्र संघर्ष शुरू होने के दौरान अन्य चार जमात नेताओं के साथ इस्तीफ़ा दे दिया था.1993 में 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक पार्टियां ‘ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ के बैनर तले एकत्रित हुईं और 19 साल के मीरवाइज उमर फारूक इससे संस्थापक चेयरमैन बने. बाद में गिलानी को हुर्रियत का चेयरमैन चुना गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें