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इसरो जासूसी मामला : SC ने दोषी पुलिस अफसरों की भूमिका की जांच के लिए CBI को दिया आदेश, तीन महीने में सौंपनी होगी रिपोर्ट

जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के अवकाश प्राप्त जज जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए और इसे प्रकाशित नहीं किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज की दलीलों को खारिज कर दिया, जो उस वक्त एसआईटी की जांच टीम का नेतृत्व कर रहे थे. दलील में मैथ्यूज ने कहा कि कमेटी ने नारायणन को सुना, लेकिन उनका पक्ष नहीं सुना.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इसरो के साइंटिस्ट नंबी नारायण से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में सीबीआई को दोषी पुलिस अफसरों की भूमिका पर हाईलेवल कमेटी की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. इसके साथ ही, अदालत ने जांच एजेंसी को इस मामले में आगे की जांच जारी रखने का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई कमेटी के निष्कर्षों को प्राइमरी जांच का हिस्सा मान सकती है. अदालत ने तीन महीने के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश भी दिया है.

जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के अवकाश प्राप्त जज जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए और इसे प्रकाशित नहीं किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज की दलीलों को खारिज कर दिया, जो उस वक्त एसआईटी की जांच टीम का नेतृत्व कर रहे थे. दलील में मैथ्यूज ने कहा कि कमेटी ने नारायणन को सुना, लेकिन उनका पक्ष नहीं सुना.

पीठ ने कहा कि इस मामले में कमेटी को फैसला नहीं करना था, बल्कि उसे अप्रत्यक्ष प्रमाणों (परिस्थितिजन्य साक्ष्य) को देखना था और अधिकारियों की चूक पर पहली नजर में एक नजरिया बनाना था. सुप्रीम कोर्ट केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें नारायणन से जुड़े जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर कमेटी द्वारा रिपोर्ट पर विचार करने का अनुरोध किया गया था.

इस मामले में नारायणन को सुप्रीम कोर्ट ने बरी करने के साथ ही 50 लाख रुपये का मुआवाजा भी दिलवाया था. केंद्र ने पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर कमेटी की रिपोर्ट पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था और इसे राष्ट्रीय मुद्दा बताया था. अदालत ने 14 सितंबर, 2018 को केरल सरकार को नारायणन को 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का निर्देश देने के साथ इस कमेटी की नियुक्ति की थी.

दरअसल, जासूसी का यह मामला 1994 का है, जो दो वैज्ञानिकों और चार अन्य लोगों द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कुछ गोपनीय दस्तावेजों को दूसरे देशों को दिए जाने के आरोपों से जुड़ा हुआ है. वैज्ञानिक नंबी नारायण को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था, जब केरल में कांग्रेस की सरकार थी.

तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपी थी. सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि केरल में तत्कालीन टॉप पुलिस अफसर ही नारायणन की गैर-कानूनी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे.

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Posted by : Vishwat Sen

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