Ideas of India Summit 2023: ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने आइडिआज ऑफ इंडिया समिट के दूसरे एडिशन में हिस्सा लिया है. इस समिट में बात करते हुए उन्होंने कई मुद्दों पर बात की. लिज ट्रस इस इवेंट की मुख्य अतिथि के रूप में नजर आयीं. इस इवेंट को संबोधित करते हुए लिज ट्रस ने भारत की जमकर तारीफ की वहीं, दूसरी तरफ चीन को काफी खरी-खोटी भी सुनाई. भारत की तारीफ करते हुए लिज ने कहा कि- आज के समय में भारत इकोनॉमिक पावर है और उसे अभी पश्चिम में काफी अहम भूमिका निभानी है. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि- भारत एक लीडर है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है. चीन की बहस का भारत पर काफी बड़ा असर पड़ सकता है.
चीन को लगायी फटकार
आइडिआज ऑफ इंडिया समिट 2023 के दौरान लिज ट्रस ने चीन को जमकर फटकार लगाई है. फटकार लगाते हुए उन्होंने कहा कि- हमारा यह विश्वास था कि आर्थिक स्वतंत्रता के साथ चीन ज्यादा स्वतंत्र हो जाएगा. लेकिन, चीन ने इसका इस्तेमाल हमारे जीवन के तरीकों को कमजोर करने के लिए किया है.
भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्तमान ढांचे में पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल दिया और इस वैश्विक संस्था में भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन किया. ‘आइडियाज ऑफ इंडिया सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए ट्रस ने यह भी कहा कि यूक्रेन को उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है.
भारत की आवाज अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण
लिज ट्रस ने कहा- हमें स्वतंत्रता और लोकतंत्र को लेकर भी आगे रहने की जरूरत है. चीन और रूस जैसे हमारे विरोधी अपने आर्थिक मॉडल को बढ़ावा देने में बहुत अच्छे हैं. वे गलत सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर दुनिया से संवाद के सभी तरीकों को अपनाते हैं. ट्रस ने कहा- वे लोगों के सोचने के तरीके को प्रभावित करने के लिए आर्थिक जबरदस्ती की शक्ति का भी उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि- दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत की आवाज अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण होने जा रही है.
भारत के साथ मुक्त व्यापार वार्ता की शुरुआत
लिज ट्रस ने कहा कि वह भारत जैसे सहयोगियों के साथ अधिक व्यापार करने की बहुत बड़ी समर्थक हैं. उन्होंने कहा- जब मैं व्यापार मंत्री थी, तब मैंने भारत के साथ मुक्त व्यापार वार्ता शुरू की थी. उन्होंने कहा- मैं यह भी देखना चाहती हूं कि हम समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करें. इसे अकसर मैं आर्थिक नाटो कहती हूं. (भाषा इनपुट के साथ)