Health: आंकड़ों के हिसाब से दुनिया में सबसे अधिक ओरल कैंसर के मामले भारत में आते हैं. सर्वाइकल कैंसर के कारण देश में हर 8 मिनट में एक व्यक्ति की मौत होती है. कुछ साल पहले कैंसर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता था लेकिन पिछले 15 साल में देशभर में कई अच्छे कैंसर संस्थान बने है. इससे कैंसर के इलाज को सुलभ बनाने का काम हुआ है. सोमवार को नागपुर में नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के परिसर में मरीजों और उनके परिजनों के लिए बनाए जाने वाले ‘स्वस्ति निवास’ का भूमि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है. देश के करोड़ों गरीबों के लिए 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा देने का काम किया गया है. इसके कारण देश के करोड़ों गरीबों के जीवन में बीमारी के समय में लड़ने का हौसला आया है और बीमारी से ठीक होकर फिर से अपने परिवार के साथ रहने की उम्मीद बढ़ी है. प्रधानमंत्री ने मुफ्त इलाज के साथ ही गरीबों को सस्ती दवा मुहैया कराने की भी व्यवस्था की है. भारत के हर राज्य और शहर में जन औषधि केंद्र के जरिये लोगों की बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर गुणवत्ता वाली दवा मुहैया कराने का काम किया जा रहा है.
मेडिकल सुविधा का किया विस्तार
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने का काम तेजी से किया गया है. वर्ष 2014 में देश में सात एम्स थे, अब 23 को मंजूरी मिल चुकी है. कई राज्यों में एम्स ने काम करना शुरू कर दिया है. देश में वर्ष 2014 में मेडिकल कॉलेज की संख्या सिर्फ 387 थी, जो अब बढ़कर 780 हो चुकी है. यही नहीं देश में डॉक्टरों भी कमी थी. इस कमी को भी दूर करने का प्रयास किया गया. वर्ष 2014 में देश में एमबीबीएस की सीटें 51 हजार थीं, जो अब बढ़कर 1.18 लाख हो गयी है. उसी तरह पीजी सीट की संख्या 31 हजार से बढ़कर 74 हजार हो गयी.
स्वास्थ्य क्षेत्र पर होने वाले खर्च की बात करें तो यूपीए सरकार के दौरान वर्ष 2013-14 में देश का स्वास्थ्य बजट सिर्फ 37 हजार करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2025-26 में बढ़कर 1.35 लाख करोड़ रुपये हो गया है. गृह मंत्री ने कहा कि सस्ती दवाओं के कारण आम लोगों को हर साल 10 हजार करोड़ रुपये की बचत हो रही है. कोई भी सरकार अकेले समाज को स्वस्थ नहीं रख सकती. इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. ऐसे संस्थान जो समाज और सेवा के बल पर चलते हैं, हमारे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ हैं.