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झारखंड: अंकित मोदी को पीएम मोदी ने दिल्ली में किया सम्मानित, इनकी एआई टेक्नोलॉजी टीबी मरीजों के लिए है वरदान

झारखंड के अंकित मोदी द्वारा निर्मित टेक्नोलॉजी अन्य संक्रामक और गैर संक्रामक बीमारियों की जांच में भी काफी मदद करती है. इस टेक्नोलॉजी से न सिर्फ जांच की लागत कम हुई है बल्कि 25 प्रतिशत ज्यादा टीबी मरीजों की पहचान समय रहते हो पा रही है.

झुमरीतिलैया (कोडरमा),साहिल भदानी: दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित जीपीएआई 2023 शिखर सम्मेलन में झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया के अंकित मोदी की मेड इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड की थीम पर प्रस्तुत एआई टेक्नोलॉजी ने सभी को आकर्षित किया. Qure.AI कंपनी के संस्थापक सदस्य अंकित की इस टेक्नोलॉजी के लिए आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया है. मालूम हो कि सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित प्राथमिकताओं पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान, उद्योग, सिविल सोसाइटी, सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों एवं शिक्षा जगत के विशेषज्ञों को एक मंच पर साथ लाया गया था. इस मंच पर अंकित मोदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष अपनी तकनीक प्रस्तुत की थी. अंकित के पिता अरुण ने बताया कि अंकित शुरू से मेधावी रहे हैं. इन्होंने अमेरिका से मिले जॉब ऑफर को ठुकरा कर भारत में ही रह कर विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी विकसित करने का निश्चय किया.

अंकित की टेक्नोलॉजी का है अहम योगदान

अंकित की यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह भारत में निर्मित एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) है. जो अब 85 से अधिक देशों में टीबी रोग उन्मूलन के लिए अभूतपूर्व योगदान दे रही है. सम्मेलन में अंकित ने वैश्विक प्रभाव के बारे में भी बात की, जिसके लिए Qure को प्रतिष्ठित एआई गेम चेंजर अवार्ड दिल्ली के भारत मंडपम में ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) द्वारा प्रदान किया गया है. अड्डी बंगला रोड निवासी व्यवसायी अरुण मोदी व गृहिणी आशा वर्णवाल के इकलौते पुत्र अंकित की सफलता पर भाजपा नेता रमेश सिंह, रवि मोदी, पूर्व जिप अध्यक्ष शालिनी गुप्ता, कोडरमा गौशाला समिति के सचिव ओमप्रकाश खेतान, कोषाध्यक्ष अविनाश सेठ, संजय बोटा, पूर्व जिला अध्यक्ष अर्जुन मोदी, डॉ. अशोक वर्णवाल, ऋषि राज, शंपा चक्रवर्ती, अनिशा मोदी, दीपक कुमार, अरुण बौद्ध, गायत्री वर्णवाल आदि ने बधाई दी है.

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25 प्रतिशत अधिक मरीजों की हो रही पहचान, कोरोना काल में भी रहा था मददगार

अंकित द्वारा निर्मित टेक्नोलॉजी अन्य संक्रामक और गैर संक्रामक बीमारियों की जांच में भी महत्वपूर्ण मदद करती है. इस टेक्नोलॉजी से न सिर्फ जांच की लागत कम हुई है बल्कि 25 प्रतिशत ज्यादा टीबी मरीजों की पहचान समय रहते हो पा रही है. कोरोना काल में भी अंकित का यह टेक्नोलॉजी खूब चर्चा में रही थी. कोरोना काल में अंकित ने इस टेक्नोलॉजी के जरिये मात्र 30 सेकेंड में छाती के एक्स-रे के सहारे कोरोना, टीबी व अन्य कई बीमारियों के लक्षण को पकड़ कर मरीजों की तत्काल इलाज में सहायता की थी. ज्ञात हो कि यह टेक्नोलॉजी एक मिनट में ब्रेन का सिटी स्कैन कर रिपोर्ट देने में सक्षम है. इस टेक्नोलॉजी में रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत नहीं पड़ती है.

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अमेरिकी कंपनी का ऑफर ठुकरा चुके हैं अंकित

अंकित ने डीएवी पब्लिक स्कूल झुमरीतिलैया से 10वीं की परीक्षा पास की है. इसके बाद 12वीं की पढ़ाई कोटा से की. फिर आईआईटी कानपुर से 2015 में कंप्यूटर साइंस में बीटेक और एमटेक किया. इस दौरान उन्होंने अमेरिका से मिले जॉब ऑफर को ठुकरा कर भारत में ही रह कर विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी विकसित करने का निश्चय किया. अंकित के पिता अरुण ने बताया कि अंकित शुरू से मेधावी रहे हैं.

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