नयी दिल्ली : नगालैंड व मणिपुर के पूर्व राज्यपाल और सीबीआई के पूर्व निदेशक 70 वर्षीय डॉ अश्विनी कुमार ने बुधवार को शिमला के ब्राक हास्ट स्थित अपने आवास में फांसी का फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली. शिमला के एसपी ने बताया है कि, मणिपुर और नगालैंड के पूर्व राज्यपाल और पूर्व सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार अपने आवास पर फंदे से लटके पाये गये हैं.
शिमला के एसपी मोहित चावला के मुताबिक, घटनास्थल से स्थानीय पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है. इस सुसाइड नोट में ”जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा” पर निकलने की बात कही गयी है. मौके पर पहुंची पुलिस मामले की छानबीन में जुट गयी है.
सीबीआई के पूर्व निदेशक आईपीएस अधिकारी अश्विनी कुमार ने इस तरह का खौफनाक कदम क्यों उठाया? इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आ पायी है. हालांकि, शुरुआती जांच में पुलिस इसे आत्महत्या का मामला मान रही है. घटना की सूचना मिलने के बाद से स्थानीय लोगों के साथ-साथ हर कोई स्तब्ध है.
गंभीर, कम बोलनेवाले, मुस्कुराते रहनेवाले आईपीएस अधिकारी अश्विनी कुमार के सीबीआई निदेशक रहते हुए कई हाई प्रोफाइल मामले दर्ज हुए थे. 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार के सीबीआई निदेशक रहने के दौरान आरुषि तलवार हत्या मामले की जांच की जा रही थी. माना जाता है कि एसपीजी में रहते हुए वह गांधी परिवार के करीब आये थे.
70 वर्षीय आईपीएस अधिकारी अश्विनी कुमार का जन्म हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन में हुआ था. वह अगस्त 2006 से जुलाई 2008 तक हिमाचल प्रदेश के डीजीपी भी रहे.
इसके बाद अगस्त 2008 में से नवंबर 2010 तक वह सीबीआई के निदेशक रहे. अश्विनी कुमार सीबीआई के पहले ऐसे प्रमुख थे, जिन्हें बाद में राज्यपाल बनाया गया. मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.
वहीं, जुलाई 2013 में मणिपुर के राज्यपाल का भी प्रभार सौंप दिया गया. हालांकि, 2013 दिसंबर में मणिपुर के राज्यपाल से इस्तीफा दे दिया. वहीं, वर्ष 2014 के जून में उन्होंने नगालैंड के राज्यपाल के पद से भी त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला स्थित एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे.