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कृषि कानूनों पर नियुक्त कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी सीलबंद रिपोर्ट, 85 किसान संगठनों से की गई बात

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी में कृषि विशेषज्ञ और शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 जनवरी को इस कमेटी का गठन किया था. हालांकि, किसान नेता भूपिंदर सिंह मान को भी इस कमेटी का सदस्य बनाया गया था, लेकिन उन्होंने इससे अपना नाम वापस ले लिया था. किसान संगठन इस कमेटी का विरोध कर रहे हैं.

नई दिल्ली : तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई तीन सदस्यों की विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी सीलबंद रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले का हल निकालने के लिए क़रीब 85 किसान संगठनों से बात की गई है. मीडिया की खबर में बताया जा रहा है कि कमेटी की इस रिपोर्ट को जल्द ही सार्वजनिक किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी में कृषि विशेषज्ञ और शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 जनवरी को इस कमेटी का गठन किया था. हालांकि, किसान नेता भूपिंदर सिंह मान को भी इस कमेटी का सदस्य बनाया गया था, लेकिन उन्होंने इससे अपना नाम वापस ले लिया था. किसान संगठन इस कमेटी का विरोध कर रहे हैं. इन किसान संगठनों का कहना है कि इस सदस्य पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. बाद में कोर्ट ने उन्होंने कमेटी में शामिल कर लिया.

गौरतलब है कि संसद से पास तीन कृषि कानूनों को लेकर देश के किसान नवंबर 2020 से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाकर बैठे हैं. इस दौरान आंदोलनरत किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली, रेल रोको आंदोलन और भारत बंद जैसे आंदोलनों को मूर्तरूप देने की कोशिश भी की है. इस दौरान किसान संगठनों के नेताओं को राजनीतिक तौर पर आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा है. ये किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस करने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं.

इसके साथ ही, किसानों के इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए किसान संगठनों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन किसान सरकार की सिफारिश को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. किसानों के आंदोलन के मद्देनजर सरकार ने तीनों कृषि कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान संगठन सरकार के इस प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं हुए.

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Posted by : Vishwat Sen

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