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Cyclone Biparjoy: क्या है बिपरजॉय का मतलब? कैसे रखे जाते हैं तूफानों के नाम? जानें

बिपरजॉय का नाम बांग्लादेश की तरफ से सुझाया गया है. इसका मतलब होता है तबाही या फिर आपदा. बांग्लादेश ने इस चक्रवात का नाम इसलिए रखा क्योंकि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं, उन सभी के नाम इसी इलाके के देश रखते हैं.

Cyclone Biparjoy: अरब सागर में बिपरजॉय नामक अति प्रबल चक्रवाती तूफान ने दस्तक दी है. यह लैंडफॉल के बाद 145-155 किमी/घंटे की अनुमानित हवा की गति के साथ गुजरात की ओर बढ़ रहा है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भारत, ओमान, ईरान और पाकिस्तान जैसे आस-पास के देशों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव की भविष्यवाणी नहीं की है. लेकिन, बिपारजॉय नाम कहां से आया? चक्रवातों का नाम क्यों रखा जाता है? चलिए जानते हैं विस्तार से

कैसे पड़ा बिपरजॉय का नाम

बिपरजॉय का नाम बांग्लादेश की तरफ से सुझाया गया है. इसका मतलब होता है तबाही या फिर आपदा. बांग्लादेश ने इस चक्रवात का नाम इसलिए रखा क्योंकि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं, उन सभी के नाम इसी इलाके के देश रखते हैं. यह सिस्टम पहले ही बन चुका है कि सभी देश बारी बारी से चक्रवातों के नाम रखेंगे. साल 2004 से ही यह प्रतिक्रिया चली आ रही है. बता दें इससे पहले गुजरने वाले तूफानों के नाम मोचा, बुलबुल और कटरीना रखा गया था. लेकिन, विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 2020 में बिपरजॉय नाम को स्वीकार कर लिया था.

चक्रवातों को नाम देने की क्या है प्रतिक्रिया

बता दें इन तूफानों को नाम देने की जो प्रतिक्रिया होती है वह हवा की गति पर आधारित होती है. जब यह हवा लगभग 63 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलती है और गोल-गोल चक्कर काटती है तब उन्हें ट्रॉपिकल तूफान नाम दिया जाता है, वहीं, जब हवा की रफ़्तार 119 किलोमीटर प्रतिघंटे से अधिक हो जाती है तब उन्हें ट्रॉपिकल हरिकेन कहा जाता है. जैसे-जैसे हवा की रफ्तार बढ़ती जाती है हरिकेन की श्रेणी भी 1-5 के स्केल पर बढ़ती जाती है.

सबसे पहले किसने रखा चक्रवात का नाम

पूरी दुनिया की अगर बात करें तो सबसे पहले चक्रवातों को नाम देने का सिलसिला अटलांटिक सागर के आस-पास के देशों ने शुरू किया. वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका ने चक्रवातों का नाम देकर उनका रिकॉर्ड रखना शुरू किया था. जानकारी के लिए बता दें कैरेबियन आइलैंड्स के लोग चक्रवातों का नाम सभी कैथलिक संतों के नाम के पर रखते थे. दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान अमेरिका ने चक्रवातों का नाम महिलाओं के नामों पर रखना शुरू कर दिया था. लेकिन, बाद में इसपर सवाल उठाये जाने लगे जिस वजह से साल 1978 के बाद से आने वाले आधे चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम पर रखे जाने लगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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