नयी दिल्ली : बिलकिस बानो की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में पहली बार 11 लोगों को, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, को उम्रकैद की सजा हुई है. बंबई हाइकोर्ट ने 11 दोषियों की अपील खारिज कर करते हुए उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है.
हालांकि, कोर्ट ने सीबीआइ की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कुछ दोषियों को मौत की सजा देने की मांग कीगयी थी. कोर्ट ने छह लोगों को बरी किये जाने के फैसले को भी पलट दिया. इनमें डॉक्टर और पुलिसवाले शामिल हैं. इन सभी लोगों पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप है.
बिलकिस बानो गैंगरेप मामला : 12 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि मार्च, 2002 में गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 250 किलोमीटर दूर रंधीकपुर गांव में बिलकिस के परिवार पर एक भीड़ ने हमला कर दिया. तब 19 साल की बिलकिसको पांच महीने का गर्भ था. उनके साथ दोषियों ने गैंगरेप किया था. एक बच्चा समेत उनके परिवार केआठ सदस्यों की हत्या कर दीगयी. रेप के बाद बिलकिस को पीटा गया और मरा हुआ जान कर छोड़ दिया गया.
गोधरा कांड के बाद बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 12 को उम्रकैद की सजा
मामले की सुनवाई जनवरी, 2005 में शुरू हुई. तब से बिलकिस अपने परिवार के दो सदस्य हुसैन और सद्दाम के साथ न्याय के लिए संघर्ष कर रही थीं. सीबीआइ ने दोषियों में से तीन के लिए मृत्युदंड की मांग की थी, क्योंकि उसका मानना था कि यह एक गंभीर अपराध और यह एक ‘सामूहिक हत्याकांड’ था.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि वर्ष 2008 में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया और बकाभाई वोहानिया को उम्रकैद की सजा सुनायी थी.