नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के पीछे व्यापक साजिश की जांच की जानी चाहिए और साथ ही उसने सीबीआई को निर्देश दिया कि इस विस्तृत जांच को पूरा करने की एक समय सीमा बतायी जाये.
कोर्ट राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी ए जी पेरारिवलन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया था. उसने आरोप लगाया है कि न तो सीबीआइ के विशेष दल ने और न ही उसके नेतृत्व वाली बहुउद्देश्यी निगरानी एजेंसी ही आरोपियों को गिरफ्त में लाने के लिए सही नजरिये से जांच की दिशा में बढ़ी क्योंकि इसमें कई पहुंच वाले लोग शामिल थे.
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की दो सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘इसकी जांच करनी होगी. हो सकता है कि उसके (याचिकाकर्ता) कहने पर नहीं, परंतु इसकी जांच आवश्यक है.’ पीठ ने सीबीआइ से कहा कि वह अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट दाखिल करे और इसके साथ ही इसे पूरा करने की समय सीमा की भी जानकारी दे. कोर्ट ने जांच एजेंसी को यह निर्देश भी दिया कि यदि इसमें कोई कानूनी बाधा है तो उसके भी संकेत देने के साथ ही ऐसे बिंदुओं से निबटने के लिए उठाये गये कदमों की भी जानकारी दी जाये. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि जांच जारी है और इसे पूरा होने में कुछ समय और लगेगा क्योंकि कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले के कुछ आरोपी भारत से बाहर फरार हैं, इसलिए इसमें प्रत्यर्पण कार्यवाही की भी जरूरत है.
इस पर पीठ ने सवाल किया, ‘क्या आज की स्थिति के अनुसार सरकार का यह रुख है, इन पहलुओं पर जांच चलती रह सकती है?’ इस पर सिंह ने कहा, ‘हां’ परंतु इसमें कुछ वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि सीबीआइ ने इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है और इस मामले के तमाम पहलुओं की जांच जारी रहने के दौरान ही सुप्रीमकार्ट ने पेरारिवलन को दोषी ठहराने का निर्णय सही ठहराया है.
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘उसके साथ या उसके बगैर ही इस मामले की जांच की जानी है. इस जांच से उसे क्या लाभ मिल सकता है यह बाद में देखा जायेगा.’ इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई 16 अगस्त के लिये स्थगित कर दी. काेर्ट ने कहा कि हमे संतुष्ट होना है कि आपके द्वारा मांगी जा रही समय सीमा की आवश्यकता न्यायोचित है या नहीं. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केंद्र और सीबीआई से जवाब मांगा था. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि चेन्नई में टाडा अदालत के आदेश के बावजूद सीबीआई ने राजीव गांधी की 1991 में हत्या के पीछे साजिश की जांच नहीं की.
शीर्ष अदालत ने इन मुजरिमों की दया याचिका के निबटारे में 11 साल के विलंब के आधार पर 18 फरवरी, 2014 को अपने निर्णय में इस हत्याकांड में मौत की सजा पाने वाले दो अन्य मुजरिमों संतन और मुरुगन के साथ ही पेरारिवलन की भी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.