नयी दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश समेत सुप्रीम कोर्ट के जजों की विदेश यात्रा पर रोक लगाने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन के अब दिमागी संतुनलन की जांच की जायेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जस्टिस कर्णन के दिमागी संतुलन की जांच करने के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन कर जांच करने का आदेश दिया है. इस मामले में आदेश जारी करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि मेडिकल बोर्ड पांच मई तक जस्टिस कर्णन के दिमागी संतुलन की जांच कर आठ मई या उससे पहले रिपोर्ट अदालत को सौंपे. इस मामले की अगली सुनवाई 18 मई को की जायेगी.
Justice Karnan issue: SC orders medical examination of Justice Karnan, medical board to be constituted to examine his mental condition
— ANI (@ANI) May 1, 2017
गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर चीफ जस्टिस समेत सात जजों की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था. जस्टिस कर्णन ने एयर कंट्रोल अथॉरिटी को आदेश दिया है कि जब तक उनके खिलाफ चल रहे मामले का निबटारा नहीं हो जाता, तब तक सातों जज देश से बाहर नहीं जा सकते. यह आदेश जस्टिस कर्णन ने अपने घर रोजडेल टावर्स, न्यू टाउन पर शिफ्ट की गयी अदालत में पास किया है.
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इससे पहले 13 अप्रैल को भी जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत सात जजों को 28 अप्रैल को अपनी अदालत में पेश होने का समन भेजा था. यह समन जस्टिस कर्णन ने अनुसूचित जाति/जनजाति (प्रताड़ना से संरक्षण) अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप में जारी किया था. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के सात जजों ने स्वत: संज्ञान लेते हुए फरवरी में जस्टिस कर्णन के खिलाफ अदालत की अवमानना का आदेश जारी किया था.
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अवमानना का आदेश जनवरी में कर्णन द्वारा 20 न्यायाधीशों को भ्रष्ट बताते हुए उनके खिलाफ जांच की मांग के बाद जारी किया गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया था. इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच के सदस्यों में चीफ जस्टिस जेएस खेहर के अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं.
इससे पहले भी चीफ जस्टिस खेहर और छह अन्य न्यायाधीशों ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी और उन्हें समन जारी कर 31 मार्च से पहले पेश होने का आदेश दिया था. इन सात जजों के संविधान पीठ ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था. इसके बाद जस्टिस कर्णन 31 मार्च को शीर्ष अदालत के सामने पेश भी हुए थे.
31 मार्च को हुई सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच के मुताबिक जस्टिस कर्णन के खत से ऐसा महसूस हुआ कि कर्णन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 20 जजों के खिलाफ लगाये भ्रष्टाचार की शिकायत बिना किसी शर्त वापल लेंगे. हालांकि, बेंच के सामने पेश होने से पहले जस्टिस कर्णन ने कहा था कि वो तभी माफी मांगेगे जब सुप्रीम कोर्ट उनकी ज्यूडिशियल और प्रशासनिक कार्य बहाल करेंगे, जिसे कोट ने नहीं माना था.
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन ने उनके द्वारा लगाये भ्रष्टाचार के आरोपों पर चार हफ्ते के अंदर जवाब एफेडेविट से जमा करने को कहा था और 1 मई को होने वाली अगली सुनवाई में पेश होने के लिए कहा था.