नयी दिल्ली : सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू कश्मीर के संकट को सुलझाने के लिए वहां के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से वार्ता के लिए तैयार है, अलगाववादियों के साथ नहीं. पैलेट गन के इस्तेमाल के खिलाफ जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन की याचिका पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने यह बात प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की खंडपीठ के समक्ष कही.
बार एसोसिएशन का कहना था कि केंद्र बातचीत में हुर्रियत के नेताओं को शामिल करे. उग्र भीड़ पर पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कश्मीरी आवाम की तरफ से विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी न करने का आश्वासन दिया जाये, तो वह अगले दो हफ्तों तक पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं करने की हिदायत देगा.
अटार्नी जनरल ने बार एसोसिएशन के इस दावे को खारिज किया कि केंद्र संकट को सुलझाने के इरादे से वार्ता के लिए आगे नहीं आ रहा है. रोहतगी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री के बीच बैठक में मौजूदा हालात पर चर्चा हुई थी. पीठ ने बार एसोसिएशन से कहा कि पत्थरबाजी और कश्मीर घाटी में सड़कों पर हिंसक आंदोलन सहित इस संकट को हल करने के बारे में वह अपने सुझाव पेश करे.
कोर्ट ने एसोशिएशन से यह भी स्पष्ट किया कि उसे इसके सभी पक्षकारों से बातचीत के बाद अपने सुझाव देने होंगे. एसोशिएशन यह कह कर नहीं बच सकती कि वह कश्मीर में सभी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है. पीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय इस मामले में खुद को तभी शामिल करेगा जब ऐसा लगता हो कि वह एक भूमिका निभा सकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई नौ मई को होगी.
कश्मीरी आवाम सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी नहीं करने का आश्वासन दें तो वह सुरक्षा बलों को दो हफ्तों तक पैलेट गन इस्तेमाल नहीं करने की हिदायत देगा.
-सुप्रीम कोर्ट