नयी दिल्ली : अयोध्या राम मंदिर का विवाद कोर्ट के बाहर सुलझाने पर फिर बहस छिड़ गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे भावनात्मक मुद्दा बताते हुए कोर्ट से इतर सुलझाने की सलाह दी है. इस सलाह पर हिंदू और मुस्लिम धर्म गुरू भी सहमति प्रकट कर रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा, हम कोर्ट से बाहर समझौते के लिए तैयार हैं. मौलाना खालिद राशिद ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत हमें इस पर बात करनी चाहिए.
दूसरी तरफ संतों ने भी कोर्ट की इस टिप्पणी पर खुशी जतायी है. उन्होंने कहा, हम बातचीत के लिए तैयार हैं. संतों ने माना कि यह कोशिश पहली बार नहीं हो रही. इससे पहले भी इस पर बातचीत हुई है. धर्म गुरूओं में बहस जगह को लेकर अटक रही है.बाबरी मस्जिद कमेटी ने उसी स्थान पर मस्जिद बनाने की बात पर अड़े रहे जहां राम लला का जन्म हुआ. मामला यही अटका रहा और बातचीत बंद हो गयी. संतों का कहना है कि जहां राम लला का जन्म हुआ मंदिर वहीं बनना चाहिए. दोनों पीछे नहीं हटना चाहते. ऐसे में रास्ता क्या होगा.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर धर्म गुरु खुश है कि एक बार फिर इस मामले पर सार्थक बहस त शुरू होगी. संभव है कि कोई रास्ता निकल जाए. हालांकि इस बातचीत के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकलता है तो अंत में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनायेगी. दोनों तरफ धर्म गुरूओं का मानना है कि अगर इस मुद्दे पर आपसी सहमति से कोई फैसला होता है तो यह बड़ा कदम होगा और दोनों धर्म के लोगों के बीच सकारात्मक संदेश जायेगा.