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एसएफआईओ ने माल्या के खिलाफ जांच का दायरा बढाया

नयी दिल्ली : पूर्ववर्ती किंगफिशर एयरलाइंस में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में अपनी जांच का दायरा बढाते हुए गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने विभिन्न बैंकों के पूर्व प्रमुखों से पूछताछ शुरु की है. आरोप है कि उक्त बैंकों ने विजय माल्या की अगुवाई वाली इस विमानन कंपनी के बढते घाटे के बावजूद बिना समुचित […]

नयी दिल्ली : पूर्ववर्ती किंगफिशर एयरलाइंस में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में अपनी जांच का दायरा बढाते हुए गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने विभिन्न बैंकों के पूर्व प्रमुखों से पूछताछ शुरु की है. आरोप है कि उक्त बैंकों ने विजय माल्या की अगुवाई वाली इस विमानन कंपनी के बढते घाटे के बावजूद बिना समुचित जांच के किंगफिशर एयरलाइंस को नया कर्ज दिया था .

एसएफआईओ इन आरोपों की भी जांच कर रही है कि किंगफिशर एयरइलाइंस को कर्ज उसके ब्रांडों व अन्य आस्तियों के ‘बढा चढाकर पेाश् किए गए’ मूल्यांकन के आधार पर दिया गया. विजय माल्या के खिलाफ तो सीबीआई व प्रतर्वन निदेशालय सहित अनेक एजेंसियों की जांच चल रही है.

सूत्रों ने कहा कि एसएफआईओ ने किंगफिशर एयरलाइंस से जुडे मामलों में अपनी जांच का दायरा बढाया है. एजेंसी अब संदिग्ध कमियों के लिए बैंकों के साथ साथ उनके शीर्ष प्रबंधन कर्मियों पर ध्यान दे रही है जिन्होंने कंपनी को कर्ज देने में संपत्तियों व देनदारियों का समुचित निरीक्षण नहीं किया है. उन्होंने कहा कि एसएफआईओ ने कुछ सार्वजनिक बैंकों के पूर्व प्रमुखों से पूछताछ की है जिन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस को नया कर्ज दिया जबकि उसका घाटा बढ रहा था.
कुछ सार्वजनिक बैंकों के पूर्व प्रमुखों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एसएफआईओ ने उनसे संपर्क किया है लेकिन कहा कि एजेंसियां रिण वितरण तथा अन्य तकनीकियों के बारे में सूचना चाहती है. उन्होंने कहा कि शीर्ष प्रबंधन स्तर पर कोई त्रुटि नहीं हुई थी और उन्होंने आधिकारिक सवालों को सम्बद्ध बैंकों के पास भेज दिया.
सूत्रों का कहना है कि एसएफआईओ ने दस से अधिक बैंकों के पूर्व आला अधिकारियों को सम्मन भेजा है. इस बारे में एसएफआईओ के निदेशक व कारपोरेट कार्य मंत्रालय को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आया.किंगफिशर एयलाइंस को ज्यादातर कर्ज 2007 से 2010 के दौरान दिया गया जबकि कंपनी का शुद्ध घाटा 2008-09 में बढकर 1600 करोड रपये से ज्यादा हो गया. उल्लेखनीय है कि विजय माल्या को ‘विलफुल डिफाल्टर’ घोषित किया जा चुका है और मार्च में देश से बाहर जा चुके हैं. बैंकों का उन पर 9000 करोड रपये से अधिक का बकाया है.

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