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सरोगेसी विधेयक के कुछ प्रावधानों पर समझौता नहीं : सरकार

नयी दिल्ली : सरोगेसी विधेयक के मसौदे को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच सरकार ने आज कहा कि वह सुझावों को शामिल करने के लिए तैयार है लेकिन उसने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों को छोडने और महिलाओं का उत्पीडन होने पर रोक लगाने समेत विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर […]

नयी दिल्ली : सरोगेसी विधेयक के मसौदे को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच सरकार ने आज कहा कि वह सुझावों को शामिल करने के लिए तैयार है लेकिन उसने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों को छोडने और महिलाओं का उत्पीडन होने पर रोक लगाने समेत विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर समझौता नहीं हो सकता.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने इस आलोचना को भी खारिज कर दिया कि सरकार नागरिकों पर नैतिक मूल्य थोपने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि यह औचित्य की बात है और इस क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को सही दृष्टि से उपयोग में लाना होगा.
उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी को रोकने का प्रयास है. कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है. अब यह संसदीय स्थाई समिति में जाएगा. विचार-विमर्श होगा और सरकार के पास सुझाव आएंगे. हम उन पर संज्ञान लेंगे. उसके बाद यह संसद में जाएगा।” नड्डा ने कहा, ‘‘वहां चर्चा होगी। इसलिए सभी के सुझावों का हम स्वागत करेंगे. हमने यह दिशा अपनाई है. माताओं का उत्पीडन होने से रोककर उन्हें बचाने की जिम्मेदारी हमारी है. इसे परिणति तक पहुंचाने के लिए जो भी अच्छा विचार या सुझाव आएगा, हम उसे अपनाने के लिए तैयार हैं.”
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ दिन पहले सरोगेसी (नियमन) विधेयक, 2016 को संसद में पेश किये जाने की मंजूरी दी है. इसमें व्यावसायिक तरीके से किराये की कोख से बच्चे को जन्म देने के चलन पर पूरी तरह पाबंदी का प्रावधान है और केवल कानूनी रुप से विवाहित दंपतियों को इस प्रक्रिया के माध्यम से बच्चा अपनाने की अनुमति होगी. नड्डा ने कहा, ‘‘महिलाओं का उत्पीडन नहीं होना चाहिए, बच्चों को छोडा नहीं जाना चाहिए। इस बारे में कोई समझौता नहीं होगा.”

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