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JNU विवाद : कन्हैया ने नहीं लगाए देश विरोधी नारे !

नयी दिल्ली :जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) मामले में एक नया खुलासा हुआ है जिसका इशारा छात्र संघ के अध्‍यक्ष कन्हैया कुमार के निर्दोष होने की ओर है. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की माने तो पिछले दिनों जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में आयोजित हुए एक विवादित कार्यक्रम में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने […]

नयी दिल्ली :जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) मामले में एक नया खुलासा हुआ है जिसका इशारा छात्र संघ के अध्‍यक्ष कन्हैया कुमार के निर्दोष होने की ओर है. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की माने तो पिछले दिनों जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में आयोजित हुए एक विवादित कार्यक्रम में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे नहीं लगाए हैं और न ही भड़काउ भाषण दिए हैं. इस मामले को लेकर जल्दबाजी में कार्रवाई की गयी जिसके बाद हंगामा मच गया है. गौरतलब है कि भाजपा सांसद शत्रुघ्‍न सिंन्हा ने भी आज बिहार के इस लाल को निर्दोष बताया है.

कन्हैया के खिलाफ कोर्ट में सबूत पेश करेगी पुलिस
दिल्ली पुलिस ने जेएनयू विवाद पर गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें भी कन्हैया का कोई जिक्र नहीं है. आज कन्हैया की पुलिस रिमांड खत्म हो रही है उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस पेश करेगी. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा है कि वो कन्हैया के खिलाफ कोर्ट में सबूत पेश करेगी.

कन्हैया कार्यक्रम में मौजूद था, लेकिन ….
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का गंभीर आरोप लगाना दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों की तरफ से ‘‘अति उत्साह’ का काम हो सकता है. सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को बताया है कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी को याद करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कन्हैया मौजूद था, लेकिन संभवत: उसने न तो भारत-विरोधी नारे लगाए और न ही देश के विरोध में ऐसा कुछ बोला जिससे उस पर देशद्रोह का आरोप लगाया जा सके.

डीएसयू नाम के संगठन से जुड़े छात्रों ने की देश विरोधी नारेबाजी
अधिकारियों ने कहा कि डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन :डीएसयू: नाम के संगठन से जुड़े छात्रों की ओर से भारत-विरोधी नारेबाजी की गयी थी. डीएसयू भाकपा :माओवादी: का एक सहयोगी संगठन माना जाता है. कन्हैया भाकपा की छात्र शाखा एआइएसएफ का सदस्य है जबकि डीएसयू एक चरमपंथी वाम संगठन है.

पोस्टरों में सिर्फ डीएसयू नेताओं के छपे थे नाम
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी का कोई छात्र संगठन चरमपंथी वाम विचारधारा वाले संगठन के साथ नहीं जा सकता. इसके अलावा, जेएनयू परिसर में चिपकाए गये पोस्टरों में सिर्फ डीएसयू नेताओं के नाम छपे थे. पोस्टरों के जरिए छात्रों को कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित किया गया था.

कन्हैयाका भाषण देश विरोधी नहीं
सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बताया कि कन्हैया ने वहां भाषण दिया लेकिन उसे देश विरोधी नहीं कहा जा सकता. अधिकारियों ने बताया कि कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाना कुछ अति उत्साही पुलिस अधिकारियों का काम हो सकता है.

प्रोफेसर गिलानी की अध्यक्षता वाली कमिटी ने किया था कार्यक्रम का समर्थन

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी की अध्यक्षता वाली कमिटी फॉर रिलीज ऑफ पोलिटिकल प्रिजनर्स :सीआरपीआर: ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया था. मूल रुप से माओवादियों से सहानुभूति रखने वालों ने सीआरपीआर का गठन किया था. बाद में इसका प्रभार गिलानी को सौंप दिया गया.

गिलानी को संभवत: इस वजह से सीआरपीआर का प्रभार सौंपा गया ताकि वह कश्मीरी अलगाववादियों और नगा अलगाववादियों सहित चरमपंथी विचारधारा वाले लोगों को संगठन में शामिल कर सकें. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा था कि अफजल पर जेएनयू में आयोजित विवादित कार्यक्रम को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का ‘‘समर्थन’ मिला था. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कल कहा था कि हाफिज सईद जेएनयू में हुए कार्यक्रम का समर्थन कर रहा था.

पुलिस ने जेएनयू प्रशासन को किया था सतर्क : रिपोर्
दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल की गयी एक स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने जेएनयू के अधिकारियों को नौ फरवरी की घटना और उसके संभावित प्रभावों के बारे में आगाह किया था जबकि कल यहां पटियाला हाउस अदालत में पत्रकारों तथा जेएनयू के छात्रों एवं अध्यापकों पर हुए हमले के एक दिन बाद भी पुलिस ने इन्हें अंजाम देने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया है.

पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएनयू छात्र संघ के गिरफ्तार किये गये अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 18 छात्र इस कार्यक्रम में मौजूद थे. इस कार्यक्रम के तहत रात करीब साढे सात बजे एक घंटे तक साबरमती ढाबा और गंगा ढाबा के बीच मार्च निकाला गया. इसके बाद भीड़ शांतिपूर्ण ढंग से तितर बितर हो गयी.

सूत्रों के अनुसार पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में नौ फरवरी को तब पता चला जब परिसर के अंदर पोस्टर लगाये गये. इसके बाद उसे जेएनयू अधिकारियों को इस कार्यक्रम और इसके संभावित प्रभावों के बारे में आगाह किया था. रिपोर्ट के अनुसार कुछ छात्रों पर आरोप है कि वे सांस्कृतिक संध्या के नाम पर अवांछित गतिविधियों में संलग्न थे. उन्होंने भारत विरोधी नारे लगाये और जम्मू कश्मीर की आजादी का समर्थन किया.

विदेशी मीडिया में भी कन्हैया की चर्चा
जेएनयू की घटना और छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी को विदेशी मीडिया में भी चर्चा हुई.

‘द वॉशिंगटन पोस्ट’नेलिखा है कि जेएनयूकी इस घटना के बाद से भारत में लोकतंत्र, देशद्रोहव कैंपसकी राजनीति पर जबरदस्त बहस छिड़ गयी है. अखबार ने इस मामले पर भारत के कईजानेमाने पत्रकारों की प्रतिक्रिया को भी जगह दी है.

‘द टेलीग्राफ’केमुताबिक कन्हैया की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे जेएनयू छात्र संघ और शिक्षकों को ब्रिटेन की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स जैसी यूनिवर्सिटीज ने साथ देने का फैसला किया है.

‘द वॉल स्ट्रीट’ जर्नल के मुताबिक कन्हैया की गिरफ्तारी ने भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस एक बार फिर से छेड़ दी है.

‘द गार्डियन’ ने भी जेएनयू के विरोध प्रदर्शनों को प्रमुखता सेप्रकाशित किया है.

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