नयी दिल्ली : पिछले दो महीने से जारी एफटीआईआई गतिरोध जल्द समाप्त होने के आसार नहीं दिख रहे क्योंकि सरकार ने आज गजेंद्र चौहान की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को रद्द करने को राजी नहीं होने के संकेत दिये. इसके साथ ही सरकार ने यह भी संकेत दिया कि आंदोलनकारी छात्रों के साथ आगे और वार्ता विचाराधीन नहीं है.
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार चौहान की नियुक्ति पर पीछे हटने को राजी नहीं और शीर्ष पदाधिकारियों और पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एफटीआईआई) के हडताली छात्रों के साथ निकट भविष्य में किसी और बैठक की संभावना नहीं है.
सूत्रों ने कहा कि छात्रों और सरकार के बीच मध्यस्थ के रुप में काम कर रहे बॉलीवुड के दो निर्देशक जानकारी के अनुसार आंदोलनकारियों का समर्थन करने से पीछे हट गए हैं. इसलिए आगे और कोई बातचीत संभव नहीं.
छात्रों के प्रतिनिधि पहले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली से दो बार मुलाकात कर चुके हैं लेकिन कोई भी ठोस समाधान सामने नहीं आया है और छात्र यह आरोप लगाते हुए मीडिया के पास गए थे कि सरकार संस्थान का निजीकरण करने का प्रयास कर रही है.
सूत्रों ने कहा कि एफटीआईआई के पूर्व के रिकार्ड के मद्देनजर सरकार ने यह भी प्रस्ताव किया कि संस्थान को चलाने के लिए बॉलीवुड को सौंप दिया जाए, जिसे मंत्रालय से वित्तीय सहयोग दिया जाएगा.