घीसिंग ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में रहने वाले जातीय गोरखा लोगों के लिए पृथक राज्य की मांग करते हुए 1980 में जीएनएलएफ की स्थापना की. फ्रंट की अगुवाई में 1986 और 1988 के बीच हिंसक घटनाओं से जिले का जनजीवन खासा प्रभावित हुआ. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद एक अर्ध स्वायत्त निकाय दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल की स्थापना के साथ इस मसले का हल हुआ और घीसिंग 1988 से 2008 के बीच दार्जीलिंग गोरखा हिल परिषद के अध्यक्ष रहे.
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जीएनएलएफ के संस्थापक सुभाष घीसिंग का निधन
नयी दिल्ली: गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक सुभाष घीसिंग का आज यहां 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह 1980 के दशक में गोरखालैंड आंदोलन को खडा करने वालों में से प्रमुख थे.वह यकृत की बीमारी और कैंसर से पीडित थे और सर गंगा राम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. अस्पताल […]
नयी दिल्ली: गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक सुभाष घीसिंग का आज यहां 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह 1980 के दशक में गोरखालैंड आंदोलन को खडा करने वालों में से प्रमुख थे.वह यकृत की बीमारी और कैंसर से पीडित थे और सर गंगा राम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. अस्पताल के सूत्रों ने बताया, ‘‘उन्हें पांच दिन पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था. उनका निधन सुबह साढे दस बजे के आस पास हुआ.’’
घीसिंग का जन्म 22 जून 1936 को दार्जिलिंग के मंजू टी एस्टेट में हुआ. वह 1954 में भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए, लेकिन 1960 में इसे छोड दिया और 1968 में जातीय गोरखाओं के अधिकारों की हिफाजत के लिए राजनीतिक संगठन बनाया और इसे नीलो झंडा नाम दिया.
अप्रैल 1979 में उन्होंने दार्जिलिंग की पहाडियों के नेपाली भाषी लोगों के लिए पृथक राज्य की मांग की. वर्ष 2011 में कर्सियांग, कलिमपोंग और दार्जिलिंग से उनकी पार्टी ने विधानसभा का चुनाव लडा, लेकिन तीनों में हार गए और उसके बाद राजनीति से दूर ही रहे.
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