बेंगलुरु :कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस विधायक दल के नेता (सीएलपी) पद से और दिनेश गुंडू राव ने पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
राज्य में पांच दिसम्बर को 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ था. उपचुनाव के नतीजे आज घोषित किये गए जिसमें कांग्रेस केवल दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी, जिसे विपक्षी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे एक पत्र में सिद्धारमैया ने उपचुनावों में संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाने के लिए खेद व्यक्त किया.
उन्होंने लिखा, मुझे नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सीएलपी के नेता के रूप में पद छोड़ने की आवश्यकता लगती है. सिद्धारमैया ने पत्रकारों से कहा, सीएलपी नेता के रूप में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने की जरूरत है.
पार्टी के हित में, मैंने सीएलपी नेता के पद से अपना इस्तीफा दे दिया है. उधर, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने भी उपचुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
झारखंड में एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के प्रदर्शन की तारीफ की और कांग्रेस पर पिछले दरवाजे से जनादेश को चुराने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हाल में संपन्न हुए उपचुनावों में कांग्रेस को सबक सिखाया गया है. इस बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि वह अपने बाकी के साढ़े तीन साल के कार्यकाल के लिए स्थिर और विकासोन्मुख सरकार देंगे.
Siddaramaiah, Congress: I have also resigned as leader of opposition in Karnataka Assembly. https://t.co/uBdpfo67C8
— ANI (@ANI) December 9, 2019
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, मतदाताओं ने अपना फैसला दे दिया और नतीजे आ चुके हैं. अब हमें राज्य के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है. मैं अपने मंत्रियों और विधायकों की मदद से अगले तीन साल के लिए सुशासन दूंगा.
Dinesh Gundu Rao,Congress: I am taking responsibility and
resigning from the post of party's Karnataka State President. #KarnatakaBypolls pic.twitter.com/C8YEr870lI— ANI (@ANI) December 9, 2019
उन्होंने अपना कार्यकाल निर्बाध रूप से पूरा करने के लिए विपक्ष का समर्थन मांगा. येदियुरप्पा ने कहा, विपक्ष लोगों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है। मैं उनसे अपील करता हूं कि कम से कम अब से अपना पूरा समर्थन हमें दें. हमने विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिये गए सभी विधायकों को आश्वासन दिया था कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, इसलिए उनसे वादाखिलाफी करने का कोई सवाल ही नहीं है. हम उन्हें मंत्री बनाएंगे. पूर्व के चुनाव में इन 15 सीटों में से 12 सीटें जीतने वाली कांग्रेस केवल दो निर्वाचन क्षेत्रों हुनसुर और शिवाजीनगर पर ही आगे चल रही है. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जद(एस) उन सभी 12 सीटों पर पीछे चल रही है जहां उसने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.
पूर्व में हुए चुनाव में उसके पास तीन सीटें थीं. होसकोटे से निर्दलीय उम्मीदवार शरथ बच्चेगौड़ा जीत की ओर बढ़ रहे हैं. भाजपा ने बच्चेगौड़ा के बगावत करके उपचुनाव लड़ने के बाद उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया.
भाजपा को राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए 225 सदस्यीय विधानसभा (अध्यक्ष सहित) में 15 सीटों (जिन पर उपचुनाव हो रहे हैं) में कम से कम छह सीटें जीतने की जरूरत थी. विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद विधानसभा में इस समय 208 सदस्य हैं जिनमें भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक हैं.
बसपा का भी एक विधायक है. इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और विधानसभा अध्यक्ष हैं. अगर भाजपा उन छह सीटों पर भी जीत दर्ज कर लेती हैं जिन पर वह आगे चल रही है तो सदन में पार्टी के सदस्यों की संख्या 105 से बढ़कर 117 हो जाएगी जो 223 सदस्यीय सदन में बहुमत के 111 के आंकड़े से अधिक है. उच्च न्यायालय में लंबित याचिका के कारण दो सीटें खाली हैं.