नयी दिल्ली : कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में व्याप्त स्थिति को लेकर मंगलवार को चिंता जाहिर की. पार्टी ने सरकार से इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं को विश्वास में लेकर राजनीतिक संवाद शुरू करने तथा उन्हें इस राज्य में जाने की अनुमति दिये जाने का अनुरोध किया. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि विपक्षी नेताओं को जम्मू-कश्मीर की यात्रा करने और वहां के लोगों से बात करने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने घाटी में नजरबंद सभी नेताओं को तत्काल रिहा किये जाने की मांग की, ताकि वे अपनी राय रख सकें.
इसे भी देखें : चिदंबरम के बिगड़े बोल : जम्मू-कश्मीर हिंदू बहुल होता, तो नहीं हटता अनुच्छेद 370
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि चूंकि सरकार ने प्रतिबंध लगाये हैं और यह एक तरफा निर्णय लिया है. इसलिए हम सरकार से राजनीतिक संवाद शुरू करने और सभी विपक्षी दलों के नेताओं को विश्वास में लेने का आग्रह करते हैं. शर्मा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को मिलने वाला विशेष दर्जा वापस लिये जाने संबंधी सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए चिंताएं हैं, क्योंकि वहां पूर्ण बंद है, समाचारों पर प्रतिबंध है और पूरा संचार नेटवर्क बंद है.
उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक नेता को राज्यपाल के अतिथि सत्कार की आवश्यकता नहीं है. हम मांग करते है कि विपक्षी नेताओं को स्वतंत्र रूप से जम्मू-कश्मीर की यात्रा करने की अनुमति दी जाये, ताकि देश और दुनिया को पता चल सके कि क्या वहां सब ठीक है या कोई चिंता की बात है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) से और नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से गठबंधन किया था. यही कारण है कि उन्होंने इन्हें भारतीय राजनीतिक दलों के रूप में मान्यता दी,जो संविधान का पालन करते हैं.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन कदमों को उठाती है, तो अच्छा होगा. फैसले को नौ दिन हो चुके हैं. विपक्षी नेताओं को श्रीनगर हवाई अड्डे पर रोके जाने और उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दिये जाने पर सवाल उठाते हुए शर्मा ने कहा कि यह भारत की छवि के लिए अच्छा नहीं है. प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकार हैं. हम नागरिकों से कानून का पालन करने का अनुरोध करते हैं, तो ऐसे में सरकार को उनके संवैधानिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए.