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कर्नाटक का ”रण” : रहेगी या जाएगी कांग्रेस-जेडीएस की सरकार, कांग्रेस कोटे के सभी मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

बेंगलुरूः कर्नाटक में सियासी उठापटक काफी तेज है. राज्य में पल-पल सियासी समीकरण बदल रहे हैं. एक बार फिर कुमारस्वामी की सरकार पर गहरा संकट मंडरा रहा है.राज्य में सत्तारूढ़ जदएस-कांग्रेस गठबंधन के एक दर्जन से अधिक विधायकों के इस्तीफे से उत्पन्न संकट का समाधान दोनों दलों के नेता ढूंढ रहे हैं. निजी दौरे पर […]

बेंगलुरूः कर्नाटक में सियासी उठापटक काफी तेज है. राज्य में पल-पल सियासी समीकरण बदल रहे हैं. एक बार फिर कुमारस्वामी की सरकार पर गहरा संकट मंडरा रहा है.राज्य में सत्तारूढ़ जदएस-कांग्रेस गठबंधन के एक दर्जन से अधिक विधायकों के इस्तीफे से उत्पन्न संकट का समाधान दोनों दलों के नेता ढूंढ रहे हैं. निजी दौरे पर अमेरिका गए मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी भी रविवार को वापस लौट आए. उनकी वापसी के बाद एक के बाद एक बैठकों का गौर जारी है. कर्नाटक के सियासी घटनाक्रम से जुड़ी सारी जानकारियों के लिए जुड़े रहें…लाइव अपडेट्स ..

कांग्रेस कोटे के सभी मंत्रियों ने प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. साथ ही साथ कर्नाटक के डिप्टी सीएम जी. परमेश्वर ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

कर्नाटक सरकार में मंत्री ज़मीर अहमद खान का कहना है कि जिन 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया है उसमें से 6-7 विधायक शाम तक वापस आ जाएंगे.

बीजेपी सूत्रों की मानें, तो पार्टी अभी किसी तरह की साफ स्थिति पेश होने का इंतजार कर रही है. अगर स्पीकर मंगलवार को विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेत हैं, तो बीजेपी सरकार बनाने का दावा कर सकती है. भाजपा सूत्रों की मानें तो उन्हें लगता है कि अभी और भी इस्तीफे आ सकते हैं. इसलिए पार्टी अभी इंतजार के मोड में है.

कांग्रेस को उम्मीद थी कि मंत्रियों के इस्तीफे के बाद नाराज विधायक मान जाएंगे. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है, क्योंकि सभी विधायक अपने इस्तीफा वापस ना लेने पर अड़े हुए हैं. विधायक अभी भी मुंबई के रिजॉर्ट में बंद हैं. उनपर लगातार नज़र बनाई गयी है.

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक नागेश ने बीजेपी को समर्थन दे दिया है. इसको लेकर उन्होंने राज्यपाल को चिट्ठी लिख दी है.इसी के साथ वो मुंबई रवाना हो गए हैं.

राज्य में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. अब निर्दलीय विधायक नागेश ने भी अपना मंत्री पद छोड़ दिया है, उन्होंने सोमवार सुबह मंत्री पद से इस्तीफा दिया. इसी के साथ नागेश ने कांग्रेस-JDS सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. उन्होंने इसको लेकर राज्यपाल को भी चिट्ठी लिख दी है.

कांग्रेस सांसद डीके सुरेश का कहना है कि कांग्रेस कोटे के सभी मंत्री अपने पद से अपना इस्तीफा दे सकते हैं.

निजी दौरे पर अमेरिका गए मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी भी रविवार को वापस लौट आए. उन्होंने बेंगलुरू पहुंचते ही आपात बैठक बुलाई. उनके द्वारा बागी विधायकों के मनाने का प्रयास किया गया. बताया जा रहा है कि गठबंधन सरकार की ओर से कई बागी विधायकों को मंत्री पद देने का वादा किया गया. इसके अलावा यह भी कहा गया कि इनके क्षेत्र को विशेष फंड भी दिया जाएगा. इस ऑफर को कांग्रेस के 10 और जेडीएस के तीन विधायकों ने ठुकरा दिया.

इसी बीच खबर है कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और बागी विधायक आर रेड्डी की बैठक होने वाली है.यह बैठक कहां होगी यह गुप्त रखा गया है. गठबंधन की सरकार को उम्मीद है कि इस बैठक में कुछ सकारात्मक चीजें ही सामने आएंगी.

कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी सोमवार को एक आपातकालीन बैठक बुला रहे हैं, जिसमें वह कुछ मंत्रियों से इस्तीफा लेकर बागियों के लिए जगह बनाने की कोशिश करेंगे. राज्य के उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी के शिवकुमार ने कहा है कि सरकार बचाने के लिए वह खुद भी मंत्री पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं.

उधर, विपक्षी भाजपा ने कहा है कि वह घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और उसने इशारा किया कि पार्टी सरकार बनाने के सभी विकल्पों को देख रही है. अपने दस विधायकों के त्यागपत्र देने से सकते में आयी कांग्रेस के विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मंगलवार को एक बैठक बुलायी है जिसमें मौजूदा सियासी चुनौतियों और 12 जुलाई से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के सत्र को लेकर विचार विमर्श किया जायेगा. राजनीति के लिहाज से इस बैठक को अहम माना जा रहा है क्योंकि इस तरह की अपुष्ट खबरें आ रही हैं कि आने वाले कुछ दिनों में कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं.
राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 118 विधायक हैं. अगर त्यागपत्रों को स्वीकार कर लिया जाता है तो सरकार के बहुमत खोने का संकट आ सकता है. भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि पार्टी राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और पार्टी संन्यासी नहीं है कि वह सरकार बनाने की संभावना से इनकार कर दें.
उन्होंने कहा गठबंधन सरकार को अच्छा प्रशासन देने दें. पर अगर वे ऐसा नहीं कर पाते तो हम 105 विधायकों के साथ मौजूद हैं. भाजपा न तो राज्यपाल से मिलेगी और न ही दिल्ली जायेगी. गौरतलब है कि सरकार बनाने के लिए कम से कम 113 विधायकों का समर्थन चाहिए और अगर ये त्यागपत्र स्वीकार हो जाते हैं तो गठबंधन के विधायकों की संख्या 105 रह जायेगी.

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