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उमर अब्दुल्ला ने कहा- पांच साल के रिकॉर्ड की जगह डर के आधार पर जनता का समर्थन जुटा रहे PM Modi

श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच साल के शासन के रिकॉर्ड पर ध्यान देने के बजाय चुनाव प्रचार में ‘डर की भावना’ का सहारा ले रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार के […]

श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच साल के शासन के रिकॉर्ड पर ध्यान देने के बजाय चुनाव प्रचार में ‘डर की भावना’ का सहारा ले रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार के मुद्दे को देखकर आश्चर्यचकित हैं.

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नेकां उपाध्यक्ष ने एक साक्षात्कार में कहा कि वह इस बात से अचंभित हैं कि जिन्हें यह चुनाव अपने शासन के पांच साल के ट्रैक रिकॉर्ड पर लड़ना चाहिए था, वे इस डर की भावना का सहारा ले रहे हैं कि सिर्फ पाकिस्तान और आतंकवादी चाहते हैं कि वह (मोदी) चुनाव हार जाएं. उमर ने गुरुवार को मेरठ, रुद्रपुर और अखनूर में दिये मोदी के भाषणों का इस्तेमाल अपनी बात में वजन डालने के लिए किया.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में अपनी पार्टी के लोकसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद करते हुए मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि किस तरह से उनकी ‘निर्णायक’ सरकार ने धरती, गगन और अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक करने का साहस दिखाया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने गुरुवार को 10 बार पाकिस्तान का जिक्र किया, जबकि नौकरियों का सिर्फ तीन बार (तीनों रैलियों में एक एक बार) जिक्र किया.

उमर ने कहा कि इससे यह जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएं क्या हैं और वह क्या संदेश देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. देश में कई आंतरिक समस्याएं हैं, फिर भी प्रधानमंत्री डर के आधार पर लोगों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.

एक राष्ट्रव्यापी गठबंधन बनाने की विपक्ष की नाकामी पर चर्चा करते हुए नेकां उपाध्यक्ष ने कहा कि महागठबंधन पर उन्हें हमेशा से आपत्ति रही है. उमर का मानना है कि एकमात्र कांग्रेस ही अखिल भारतीय विपक्षी दल है और राज्यों में क्षेत्रीय गठबंधन बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को राज्य स्तर पर विभिन्न क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर उन्होंने कहा कि यह असल में एक गठजोड़ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने जम्मू और उधमपुर में अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला नहीं किया, ताकि धर्मनिरपेक्ष वोट नहीं बंटे. वहीं, श्रीनगर में फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला नहीं किया है, लेकिन हम तीन अन्य सीट दक्षिण कश्मीर, उत्तर कश्मीर और लद्दाख में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

उमर के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे का मुद्दा प्रमुखता से उठायेगी. जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की छह सीटें हैं और वहां 11 अप्रैल से कई चरणों में मतदान होंगे.

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