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भारत ने पांच विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया, मोदी ने वैज्ञानिकों को सराहा

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) : भारत ने आज पीएसएलवी-सी23 राकेट जरिए चार देशों के पांच उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और ये उपग्रह कक्षा में स्थापित हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को देश की अंतरिक्ष क्षमता की अभिपुष्टि करार दिया है. यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रथम प्रक्षेपण पैड से सुबह 9 […]

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) : भारत ने आज पीएसएलवी-सी23 राकेट जरिए चार देशों के पांच उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और ये उपग्रह कक्षा में स्थापित हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को देश की अंतरिक्ष क्षमता की अभिपुष्टि करार दिया है.

यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रथम प्रक्षेपण पैड से सुबह 9 बज कर 52 मिनट पर रॉकेट को छोड़ा गया. मोदी इस महत्वपूर्ण क्षण के गवाह बने. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी23 ने सभी पांच उपग्रहों को प्रक्षेपण के 17 से 19 मिनटों के भीतर एक-एक करके उन कक्षाओं में स्थापित कर दिया जहां इन्हें भेजे जाने का लक्ष्य रखा गया था.

मिशन तैयारी समीक्षा समिति और प्रक्षेपण बोर्ड ने बीते शुक्रवार को ही इस प्रक्षेपण को मंजूरी दे दी थी, हालांकि आज पहले से तय समय में फिर बदलाव किया गया और इसका तीन मिनट की देरी से सुबह 9:52 बजे प्रक्षेपण हुआ. यह विलंब रॉकेट के मार्ग में संभवत: अंतरिक्ष के मलबों के आने के कारण हुआ.

पीएसएलवी-सी23 जिन पांच उपग्रहों को अपने साथ ले गया उनमें फ्रांस का 714 किलोग्राम का भू अवलोकन उपग्रह स्पोत-7 प्रमुख है. इसके अलावा जर्मनी के 14 किलोग्राम के एसैट, कनाडा के एनएलएस7.1 (कैन-एक्स4ऑ और एनएलएस7.2 (कैन-एक्स4) तथा सिंगापुर के उपग्रह वेलोक्स-1 को प्रक्षेपित किया गया है. कनाडा के दोनों उपग्रह 15-15 किलोग्राम और सिंगापुर का उपग्रह 7 किलोग्राम का है.

अंतरिक्ष स्थल का पहला अधिकारिक दौरा करने वाले मोदी ने अंतरक्षि समुदाय से कहा कि वह एक दक्षेस उपग्रह का विकास करें. इसके साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों के पहले के योगदानों को याद करते हुए उनकी जमकर तारीफ की. प्रधानमंत्री ने उन तस्वीरों का हवाला दिया जिनमें रॉकेट की सामग्री को साइकिलों पर रखकर लाते-लेजाते दिखाया गया है.

काफी खुश नजर आ रहे मोदी ने कहा कि इस प्रक्षेपण का साक्षी बनना सम्मान की बात है तथा उन्होंने इस सफल प्रक्षेपण के लिए प्रतिभाशाली अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी. मोदी ने मिशन कंट्रोल रुप से कहा, इसने (प्रक्षेपण) हर भारतीय को आनंदित और गौरवान्वित किया है और मैं आपके चेहरे पर दिख रही प्रसन्नता को देख सकता हूं. उन्होंने कहा कि विदेशी उपग्रहों का यह सफल प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष क्षमता की वैश्विक अभिपुष्टि है. इस मौके पर मोदी के अलावा आंध्र्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन तथा केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू मौजूद थे. प्रधानमंत्री श्रीहरिकोटा में इस प्रक्षेपण का साक्षी बनने के लिए कल चेन्नई पहुंचे थे. यह स्थान चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर कर दूरी पर है.

फ्रांसीसी उपग्रह स्पोत-7 को स्पोत-6 उपग्रह के बिल्कुल विपरीत दिशा में स्थापित किया जाना है. स्पोत-6 को इसरो ने 2012 में प्रक्षेपित किया था. यूरोपीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने स्पोत-7 का निर्माण किया है. जर्मनी का एसैट उपग्रह वैश्विक समुद्रीय यातायात निगरानी व्यवस्था पर केंद्रित होगा. यह जर्मनी का पहला डीएलआर उपग्रह है.

कनाडा के दोनों उपग्रहों एनएलएस 7.1 और एनएलएस 7.2 को टोरंटो विश्वविद्यालय ओर अंतरिक्ष अध्ययन…अंतरिक्ष उडान प्रयोगशाला संस्थान ने विकसित किया है. सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित उपग्रह वेलोक्स-1 इमेज सेंसर के आंतरिक डिजाइन के लिए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शक है. इन पांचों उपग्रहों का प्रक्षेपण इसरो की व्यावसायिक इकाई एंट्रिक्स के इन देशों के साथ किए गए कारोबारी प्रबंधों के तहत किया गया है.

इसरो ने अब तक 19 देशों के 35 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है जिससे देश के पास काफी विदेशी मुद्रा आई है. ये देश अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इस्राइल, इटली, जापान, कोरिया, लक्जमबर्ग, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, तुर्की और ब्रिटेन हैं.

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