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एफएटीएफ ने पुलवामा हमले की निंदा की, आतंकी वित्तपोषण रोकने में नाकाम पाकिस्तान ‘ग्रे” सूची में कायम

नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करनेवाली संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा की. इसके साथ ही एफएटीएफ ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जमात-उद-दावा (जेयूडी) जैसे आतंकवादी संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची […]

नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करनेवाली संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा की. इसके साथ ही एफएटीएफ ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जमात-उद-दावा (जेयूडी) जैसे आतंकवादी संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में बरकरार रखने का फैसला किया.

पेरिस स्थित इस संस्था ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक खामियों को दूर करने की अपनी योजना पर अमल के लिए काम जारी रखना चाहिए. इसके तहत वह आतंकवादी संगठनों की ओर से पेश की जा रही आतंकवादी वित्तपोषण के जोखिमों की उचित समझ पर्याप्त रूप से दिखाये और जोखिम को लेकर संवेदनशीलता के आधार पर निगरानी करे. करीब एक हफ्ते लंबे अपने अधिवेशन के बाद एफएटीएफ ने कहा कि वह पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए आतंकी हमले पर गौर करते हुए गंभीर चिंता जताता है और उसकी निंदा करता है. इस हमले में कम से कम 40 जवान शहीद हुए थे. जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.

एफएटीएफ ने कहा, पाकिस्तान ने अपना टीएफ (आतंकी वित्तपोषण) जोखिम आकलन पुनरीक्षित किया है. बहरहाल, वह दाएश (आईएसआईएस), अल-कायदा, जेयूडी (जमात-उद-दावा), एफआईएफ (फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन), एलईटी (लश्कर-ए-तैयबा), जेईएम (जैश-ए-मोहम्मद), एचक्यूएन (हक्कानी नेटवर्क) और तालिबान से जुड़े लोगों की ओर से पेश किये जा रहे टीएफ जोखिम की उचित समझ नहीं दिखा रहा. जनवरी 2019 में अमल के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर सीमित प्रगति को देखते हुए एफएटीएफ ने पाकिस्तान से अपील की कि वह अपनी कार्य योजना, खासकर मई 2019 की समयसीमा वाली, तेजी से पूरी करे.

एफएटीएफ के अधिवेशन में शिरकत करनेवाले एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि निपटारा दस्तावेज में रखने का मतलब है कि देश को ‘ग्रे’ सूची में रखा जायेगा और जून 2019 में इसकी फिर से समीक्षा की जायेगी. जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में डाला गया था और एफएटीएफ द्वारा 27 सूत्री कार्य योजना दी गयी थी. अक्तूबर 2018 में हुए पिछले अधिवेशन में इस योजना की समीक्षा की गयी थी. इस हफ्ते हुई बैठक में दूसरी बार इसकी समीक्षा की गयी. एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में बनाये रखने का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी), यूरोपीय संघ (ईयू) जैसी वित्तीय संस्थाएं उसकी ग्रेडिंग कम कर देंगी और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर इन कदमों का नकारात्मक प्रभाव होगा.

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