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राजीव गांधी हत्याकांड : मुजरिम की याचिका पर अक्टूबर में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के एक मुजरिम की याचिका पर वह अक्तूबर में सुनवाई करेगा. यह याचिका इस हत्याकांड की साजिश की जांच के लिए सीबीआई के नेतृत्व में गठित बहुआयामी निगरानी एजेंसी की प्रगति के बारे में दायर की गयी है. यह मामला […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के एक मुजरिम की याचिका पर वह अक्तूबर में सुनवाई करेगा. यह याचिका इस हत्याकांड की साजिश की जांच के लिए सीबीआई के नेतृत्व में गठित बहुआयामी निगरानी एजेंसी की प्रगति के बारे में दायर की गयी है. यह मामला शुक्रवार को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ के सामने आया.

इसे भी पढ़ें : राजीव गांधी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट से दोषी एजी पेरारिवलन ने मौत की सजा वापस लेने की मांग की

पीठ ने कहा कि हमें इसकी सुनवाई करनी होगी. इसके साथ ही, अदालत ने कहा कि इस मामले में अक्टूबर में सुनवाई की जायेगी. राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों में से उम्र कैद की सजा पाने वाले 45 वर्षीय एजी पेरारिवलन ने बहुआयामी निगरानी एजेंसी की जांच का काम पूरा होने तक अपनी सजा निलंबित करने का अनुरोध अदालत से किया था.

हालांकि, अदालत ने 14 मार्च को उसकी याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उसने इस निगरानी समिति को जांच की प्रगति से अवगत कराने का निर्देश दिया था. निगरानी एजेंसी ने शीर्ष अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जांच अभी भी जारी है और श्रीलंका सहित कई उन देशों को अनुरोध पत्र भेजे गये थे, जहां कुछ ऐसे व्यक्ति रह रहे हैं, जिनकी जांच की आवश्यकता है.

इस पर न्यायालय ने निगरानी एजेंसी को कोलंबो की जेल में बंद आरोपी निक्सन उर्फ सुरेन से पूछताछ के लिए श्रीलंका सरकार को भेजे गये अनुरोध पत्र की प्रगति की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. लोकसभा चुनाव के दौरान 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में आयोजित एक चुनाव सभा के दौरान एक आत्मघाती मानव विस्फोट में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत हो गयी थी.

यह संभवत: ऐसा पहला मामला था, जिसमें आत्मघाती विस्फोट में एक प्रमुख नेता की हत्या की गयी थी. इस विस्फोट में 14 अन्य व्यक्ति भी मारे गये थे. इनमें आत्मघाती विस्फोट करने वाली महिला भी शामिल थी, जिसकी पहचान बाद में धनु के रूप में हुई थी. इस हत्याकांड की व्यापक साजिश की जांच के लिए 1998 में बहुआयामी निगरानी एजेंसी गठित की गयी थी.

न्यायमूर्ति एमसी जैन जांच आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश की जांच के लिए इस निगरानी एजेंसी का गठन किया गया था. इस जांच एजेंसी का मुखिया सीबीआई के एक अधिकारी को बनाया गया था और इसमें गुप्तचर ब्यूरो, रॉ, राजस्व गुप्तचर ब्यूरो और दूसरी जांच एजेंसियों के अधिकारियों को शामिल किया गया था.

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