नयी दिल्ली : अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई मंगलवार से सुप्रीम कोर्ट प्रत्येक दिन करेगा. यह विवाद लगभग 164 साल पुराना है. सुप्रीम कोर्ट मामले से जुड़े अलग-अलग भाषाओं के ट्रांसलेट किये गये 9000 पन्नों को देखेगा. जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच मामले की नियमित सुनवाई करेगी. आपको बता दें कि 6 दिसंबर को विवादित ढांचा ढहाये जाने के 25 साल भी पूरे हो रहे हैं.
बताया जा रहा है कि मंगलवार दोपहर 3 जजों की स्पेशल बेंच सुनवाई शुरू करेगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन होंगे. वहीं रामलला का पक्ष हरीश साल्वे कोर्ट के समक्ष रखेंगे. कोर्ट देखेगा कि डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन पूरा हुआ है या नहीं हुआ है. ट्रांसलेशन नहीं होने पर पेच फंसने की उम्मीद है, लेकिन अदालत कह चुकी है कि अब सुनवाई नहीं टाली जाएगी. 5 दिसंबर से दलीलें सुनी जाएंगी.
जनकारी के अनुसार सबसे पहले ऑरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें कोर्ट के सामने रखी जाएंगी. फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी. गौर हो कि 11 अगस्त को 3 जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट में 7 साल बाद अयोध्या मामले की सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने कहा था कि 7 भाषा वाले दस्तावेज का पहले का ट्रांसलेट करने की जरूरत है.
यहां चर्चा कर दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को ट्रांसलेट कराने की मांग की थी.