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जेएनयू के लापता छात्र नजीब मामले में दिलचस्पी नहीं लेने पर हाइकोर्ट ने सीबीआइ को लगायी फटकार

नयी दिल्ली : जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद के मामले में दिलचस्पी के पूर्ण अभाव और किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने को लेकर सीबीआइ को सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने डांट लगायी. गौरतलब है कि मामले की जांच पांच महीने पहले सीबीआइ को सौंपी गयी थी. एमएससी बायोटेक्नोलॉजी का छात्र नजीब (27) जेएनयू […]

नयी दिल्ली : जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद के मामले में दिलचस्पी के पूर्ण अभाव और किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने को लेकर सीबीआइ को सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने डांट लगायी. गौरतलब है कि मामले की जांच पांच महीने पहले सीबीआइ को सौंपी गयी थी. एमएससी बायोटेक्नोलॉजी का छात्र नजीब (27) जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास से 15 अक्तूबर, 2016 को लापता हो गया था. घटना से एक रात पहले नजीब की संघ परिवार से जुड़े छात्र संघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों के साथ झड़प हुई थी.

न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने दलीलों के दौरान कहा कि सीबीआइ द्वारा मौखिक रूप से दी गयी जानकारी और सौंपी गयी स्थिति रिपोर्ट में विरोधाभास से वह बहुत नाखुश है. यह विरोधाभास मामले में संदिग्ध छात्रों के फोन कॉल और संदेश के विश्लेषण के आधार पर सीबीआइ द्वारा दी गयी स्थिति रिपोर्ट में है.

जब अदालत को बताया गया कि स्थिति रिपोर्ट सीबीआइ के निरीक्षक द्वारा तैयार की गयी थी, पीठ ने कहा कि जांच की जिम्मेदारी एजेंसी को सौंपनेवाले 16 मई के उसके आदेश के अनुसार, न्यूनतम डीआइजी रैंक के अधिकारी को जांच की निगरानी करनी थी. अदालत ने कहा, यह कैसी निगरानी है? अगर यह डीआइजी की निगरानी है तो बिना निगरानी के क्या होगा? उन्हें शायद (कार्यालय में) रिपोर्ट पढ़ने का भी वक्त नहीं मिला. उन्हें यहां आकर, इसे पढ़ने दें. पीठ ने कहा कि सीबीआइ की स्थिति रिपोर्ट में कुछ नहीं है. दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में काफी कुछ था. हमारा कहना है कि इसमें सीबीआइ की दिलचस्पी का पूर्ण अभाव रहा है. दोनों ओर से कोई परिणाम नहीं है. कागज पर भी कोई परिणाम नहीं है. पीठ ने कहा कि सीबीआइ अपने कामकाज के कारण ही ऐसी बातें सुन रही है. पीठ ने जांच एजेंसी से कहा है कि वह नजीब के लापता होने के संबंध में नौ संदिग्ध छात्रों के कॉल डेटा विश्लेषण के जरिये क्या पता चला है इसकी रिपोर्ट उसे सौंपे.

सीबीआइ ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि संदिग्धों के फोन कॉल और संदेशों का विश्लेषण किया जा रहा है, जबकि अपनी मौखिक दलील में कहा था कि सभी रिकार्ड का विश्लेषण पूरा हो चुका है. जांच एजेंसी की बातों में इसी विरोधाभास को लेकर अदालत बहुत नाराज है. अदालत ने इसपर नाराज होते हुए पूछा, फिर आपने बताया क्यों नहीं कि विश्लेषण में क्या मिला है. पीठ ने सीबीआइ को चेताया कि वह एजेंसी के डीआइजी को अदालत में पेश होने को कहेगी. अदालत लापता छात्र नजीब की मां फातिमा नफीस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. फातिमा ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास से 15 अक्तूबर, 2016 को लापता बेटे का पता लगाने के लिए आदेश जारी करे.

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