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आजाद भारत में फांसी पर लटकने वाली पहली महिला शबनम के परिवार को है इस दिन का इंतजार, जानें चाची ने क्या कहा…

Shabnam Case नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के अमरोहा (Amroha district) की शबनम की फांसी में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. उसके परिवार के सदस्यों का कहना है कि वे उस क्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. राष्ट्रपति के पास से भी दया याचिका खारिज हो चुकी है. अब, शबनम और सलीम की मौत का वारंट (Death Warrants) जल्द ही आने की उम्मीद है. रामपुर जेल में बंद शबनम को करीब 150 साल पहले बनी मथुरा जेल में फांसी दी जायेगी. इसके साथ, वह स्वतंत्र भारत में फांसी पाने वाली पहली महिला कैदी होगी.

Shabnam Case नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के अमरोहा (Amroha district) की शबनम की फांसी में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. उसके परिवार के सदस्यों का कहना है कि वे उस क्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. राष्ट्रपति के पास से भी दया याचिका खारिज हो चुकी है. अब, शबनम और सलीम की मौत का वारंट (Death Warrants) जल्द ही आने की उम्मीद है. रामपुर जेल में बंद शबनम को करीब 150 साल पहले बनी मथुरा जेल में फांसी दी जायेगी. इसके साथ, वह स्वतंत्र भारत में फांसी पाने वाली पहली महिला कैदी होगी.

अमरोहा के बवानीखेड़ी हत्याकांड को करीब 13 साल हो चुके हैं. शबनम के चाचा सतार अली और चाची फातिमा उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. जिस दिन शबनम और सलीम को फांसी दी जायेगी. उन्हें अपनी भतीजी के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है. उनके अनुसार, केवल फांसी से ही उनके मारे गये परिजनों को न्याय मिलेगा. इस हत्याकांड के बाद सतार अपने भाई शौकत अली के घर में रह रहे है. हर साल वे घर के एक तरफ बनी सात कब्रों को साफ करते हैं और अपने परिवार को याद करते हैं.

अब जानते हैं पूरी घटना के बारे में, शबनम को उसके प्रेमी सलीम के साथ उसके परिवार के सात सदस्यों को 2008 में मौत के घाट उतारने के लिए दोषी ठहराया गया था. अमरोहा जिला अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाई थी. दोषियों ने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी सजा की अपील की और फिर सर्वोच्च न्यायालय में अपनी दलील दी. लेकिन दोनों अदालतों ने इस सजा को कम करने से इनकार कर दिया. राष्ट्रपति के पास से भी दया याचिका खारिज हो चुकी है.

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शबनम की चाची फातिमा ने कहा कि शबनम और उसके प्रमी सलीम ने जिस प्रकार का क्रूरता वाला काम किया है, उसके लिए फांसी की सजा ही सही है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार साऊदी अरब में मौत की सजा दी जाती है, दोनों को वैसी ही मौत दी जानी चाहिए. इधर शबनम की ओर से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को एक नयी दया याचिका भेजी गयी है.

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक शबनम ने ऐसा काम किया है कि बावनखेड़ी के किसी भी परिवार ने तब से अब तक अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा है. इधर, दोषी सलीम की मां चमन जहां का कहना है कि वह दिन-रात अल्लाह से प्रार्थना करती है. उन्होंने कहा कि अब अल्लाह जो भी करेगा, हम स्वीकार करेंगे. सलीम के पिता एक गरीब नमकीन विक्रेता हैं और अपने बेटे पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हैं.

गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने वाली डबल एमए (अंग्रेजी और भूगोल) शबनम ने शुरू में यह दिखाने का प्रयास किया कि उनके घर पर अज्ञात हमलावरों ने हमला किया था. हालांकि, बाद में शबनम ने कबूल किया कि उसने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के लोगों की हत्या ही थी. सलीम पांचवीं पास है और शबनम के घर के पास ही एक दुकान में काम करता था.

Posted By: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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