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स्वामी प्रसाद मौर्य का रामचरितमानस पर विवादित बयान, बोले- कई जातियों पर की अमर्यादित टिप्पणी, लगे प्रतिबंध…

स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास की रामचरितमानस को लेकर कहा कि इसमें उन्होंने कुछ अंश ऐसे लिखे हैं जिसमें जाति वर्ग विशेष को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं. हम इसको धर्म ग्रंथ नहीं मानते क्योंकि तुलसीदास जी ने इसे स्वयं निज सुख के लिए लिखने की बात स्वीकार की है.

Lucknow: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, अमर्यादित टिप्पणी हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. उन्होंने कहा कि इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.

धर्म की आड़ में यदि कोई भी आपत्तिजनक शब्द

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सभी धर्मों का मकसद मानव कल्याण और मानवता का सम्मान है. लेकिन, मानवता को कलंकित और अपमानित करने के लिए धर्म की आड़ में यदि कोई भी आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग करता है तो स्वाभाविक रूप से ऐसे अमर्यादित टिप्पणी का हम विरोध करते हैं.

निज सुख के लिए लिखी रामचरितमानस

उन्होंने तुलसीदास की रामचरितमानस को लेकर कहा कि इसमें उन्होंने कुछ अंश ऐसे लिखे हैं जिसमें जाति वर्ग विशेष को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं. हम इसको धर्म ग्रंथ नहीं मानते क्योंकि तुलसीदास जी ने इसे स्वयं ‘स्वान्त: सुखाय’ यानी निज सुख के लिए लिखने की बात स्वीकार की है.


पुस्तक को प्रतिबंधित करने की मांग

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि फिर भी इस रामचरितमानस में कुछ जातियों को दर्शाते हुए जिस पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं, हम उसका विरोध करते हैं. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. इसका संज्ञान लेते हुए इसमें जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए. उन्होंने यहां तक कहा कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है.

भाजपा बोली दूसरे धर्म पर ऐसी टिप्पणी कर देखें नतीजा

उधर भाजपा प्रवक्ता एसएन सिंह ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य किसी दूसरे धर्म को लेकर इस तरह की टिप्पणी करके देख लें कि इसके बाद वह कब तक जिंदा रह पाते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता, समाज के बारे में बयान देते देते स्वामी प्रसाद मौर्य यह भूल गए कि तुलसीदास जी ने कितना पवित्र ग्रंथ लिखा है. यह बहुत गैर जिम्मेदाराना बयान है. वह पहले भी सुंदरकांड को अश्लीलता से जोड़ चुके हैं, काशी में लोग अंतिम समय में जाते हैं, इस तरह की बात कर चुके हैं. यह संगत का असर है.

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सत्येंद्र दास ने अखिलेश से की पार्टी से बाहर करने की मांग

अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि भगवान राम का चरित्र अनुकरणीय है. लोग उनकी पूजा करते हैं. उनके संबंध में इस प्रकार का जो बयान दे रहा है, वह अज्ञानी है. उसको किसी प्रकार का ज्ञान नहीं है. रामायण की जानकारी नहीं है. रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें सभी शास्त्र, वेद शामिल हैं. इसके दर्शन मात्र से ज्ञान मिलता है. अखिलेश यादव को ऐसे व्यक्ति को अपनी पार्टी से निकाल देना चाहिए, नहीं तो उनकी पार्टी का ऐसा ही चरित्र घोषित होगा.

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