10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

जीवा हत्याकांड: अतीक-अशरफ के हत्यारों की तरह विजय सिर्फ मोहरा! पर्दे के पीछे के असली मुजरिम को तलाशेगी एसआईटी

यूपी में अतीक-अशरफ हत्याकांड को लोग भूल भी नहीं पाए थे कि लखनऊ में कोर्ट के अंदर गैंगस्टर जीवा की हत्या कर दी गई. जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी था. अब एसआईटी को वजह तलाशनी है कि कहीं ये मुख्तार अंसारी को और कमजोर करने की साजिश तो नहीं या फिर गैंगवार से जुड़ा मामला है.

Lucknow: लखनऊ कोर्ट परिसर में हुई गैंगस्‍टर संजीव माहेश्वरी जीवा की हत्‍या के मामले में जांच पड़ताल शुरू हो गई है. इस सनसनीखेज वारदात के बाद पुलिस हत्यारोपी विजय यादव की कुंडली खंगालने में जुट गई है.

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गठित एसआईटी के सामने सबसे बड़ा सवाल वारदात की वजह पता लगाना है. सबसे अहम है कि जिस तरह से अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद पर्दे के पीछे किसी अहम किरदार के होने का शक जताया जा रहा था, ठीक उसी तरह संजीव माहेश्वरी जीवा मर्डर केस में ऐसी ही संभावना जताई जा रही है.

अतीक-अशरफ के हत्यारों से पूछताछ में भी अभी सच्चाई का खुलासा नहीं हो सका है, मामले में पड़ताल के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट सौंपे जाने का इंतजार है. इसी तरह लखनऊ में जीवा हत्याकांड में भी एसआईटी के सामने सबसे अहम सवाल हत्या के वास्तविक कारण की तलाश करना है, क्योंकि दोनों ही मामलों में मौके से पकड़े गए हत्यारोपियों ने जो बात कही, उस पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है.

इस बीच इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि संजीव जीवा की हत्‍या की वजह गैंगवार हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक वर्चस्‍व की जंग के चलते गैंगस्‍टर संजीव जीवा को मौत के घाट उतार दिया गया. हालांकि पूरा खुलासा एक सप्‍ताह में एसआईटी को रिपोर्ट आने के बाद होगा.

Also Read: UP: वन दारोगा भर्ती मुख्य परीक्षा की अंतिम उत्तर कुंजी जारी, यहां करें चेक, इसमें सफल होते ही नौकरी पक्की

वहीं संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या करने वाले आरोपी विजय यादव की बात करें तो वह जौनपुर के केराकत कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला है. उनका पैतृक गांव आजमगढ़ जनपद की सीमा से सटा है. पुलिस की परिजनों से पूछताछ में सामने आया है कि विजय 2016 में एक किशोरी के भगाने के मामले में कुछ महीने तक जेल में रहा. बाद में मामले को लेकर सुलह हो गई.

बताया जा रहा है कि हत्यारोपी विजय मुंबई के एक पाइप बनाने वाली कंपनी में काम करता था. वहां से मार्च में घर आया. दो-तीन दिन के बाद ही उसने बताया कि लखनऊ में कुछ काम है. वहां से 10 मई को मामा की पुत्री की शादी में शामिल होने के बाद वह वापस गांव से लखनऊ चला गया. इसके बाद से उसने परिजनों से संपर्क नहीं किया.

विजय ने बीकॉम की परीक्षा उत्तीर्ण की है. उसके पिता की मिठाई की दुकान हे. यहीं उसका एक किशोरी से संपर्क हुआ था, जिसके बाद दोनों फरार हो गए थे. इसे लेकर उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था. करीब तीन महीने के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को ढूंढ निकाला था. अब इस केस को लेकर दोनों पक्षों में सुलह हो चुकी है.

पुलिस के मुताबिक विजय यादव की कोई बड़ी क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं है. उसके खिलाफ आजमगढ़ के देवगांव थाने में पॉक्सो एक्ट और वर्ष 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत थाने में केस दर्ज है. इन दोनों ही मामलों से कहीं से भी संभावना नजर नहीं आती है कि वह जीवा से जैसे कुख्यात अपराधी का मर्डर कर सकता है.

विजय की जीवा से कोई जान पहचान भी नहीं थाी, इसलिए रंजिश या कोई दूसरी वजह भी सामने नहीं आई है. ऐसे में विजय को मोहरा बनाकर वारदात के लिए इस्तेमाल करने से भी इनकार नहीं किया जा सकता. अब एसआईटी उससे जल्द पूछताछ करके वारदात के कारणों का पता लगाने का प्रयास करेगी.

इस बात को लेकर चर्चा है कि जेल में बंद होने के बावजूद जीवा आपराधिक वारदतों को अपने साथियों के जरिए अंजाम दे रहा ​था. इसलिए वर्चस्‍व की जंग में उसकी हत्‍या कर दी गई. हत्‍याकांड में शक की सुई गैंगस्‍टर सुनील राठी की तरफ घूम रही है.

सुनील राठी से संजीव जीवा की पुरानी रंजिश है, जो जीवा के मुन्‍ना बजरंगी के करीबी होने के कारण चली आ रही थी. सुनील राठी पर ही मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या कराने का आरोप है. 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में बंद मुन्‍ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

कहा जा रहा है कि संजीव जीवा हत्याकांड का आरोपी विजय यादव कुख्यात सुनील राठी गैंग के संपर्क में था. इसकी शुरुआत करीब तीन महीने पहले मुंबई में रहने के दौरान हुई. इसके बाद विजय ने लखनऊ आकर पूरी रैकी की, इसलिए वह कोर्ट परिसर के बारे में अच्छी तरह वाकिफ था और उसने वारदात को अंजाम दिया. जिस तरह विजय ने वारदात के बाद तेज आवाज में कहा कि वह मारने आया था, कर दिया काम, अंजाम चाहे जो भी हो, इससे भी संभावना जताई जा रही है कि इसके पीछे किसी गिरोह के सरगना का हाथ हो सकता है.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel