कर्मनाशा.
दुर्गावती स्थित एक विद्यालय के प्रांगण में रविवार को अखिल भारतीय ब्रह्म विद्या विहंगम योग के तत्वावधान में बीस कला विभूषित अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव जी की 138वीं की जयंती मनायी गयी. वक्ताओं ने कहा विहंगम योग एक क्रियात्मक विज्ञान है. विहंगम योग का ज्ञान आज विश्व के 55 से अधिक देशों में फैला हुआ है. इस ज्ञान के माध्यम से लाखों परिवार नशामुक्त जीवन व्यतित कर रहा है. यह संस्थान प्रत्येक वर्ष 28 अक्त्तूबर को स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवद विज्ञान देवजी महराज की जयंती पर हजारों यूनिट रक्तदान किया जाता है. इस संस्थान में, हजारों विद्यार्थी प्रयागराज तथा बनारस में नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे है. विहंगम योग की ओर से प्राकृतिक आपदाओं में सभी प्रकार की सेवा की जाती है. मन को रोकने की कला बतायी जाती है. कार्यक्रम में भंडारे का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रेमचंद जायसवाला व संचालन सत्येंद्र कुमार ने किया. कार्यक्रम में सुमन सिंह, रमेश सिंह, श्यामसुंदर पांडेय, श्रीकांत प्रधानजी, मंगला प्रसाद चौधरी, हरिहर तिवारी, रंगबहादुर सिंह, रामनगीना, जयप्रकाश सिंह, विरेंद्र साह, उमेश पांडेय ने अपने विचार व्यक्त किये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

