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मलेरिया से सुरक्षा के लिए सावधानी जरूरी : सिविल सर्जन

पूर्णिया. भारत सरकार द्वारा आगामी वर्ष 2030 तक मलेरिया बीमारी को देश में पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है. उक्त आशय की जानकारी देते हुए प्रभारी

पूर्णिया. भारत सरकार द्वारा आगामी वर्ष 2030 तक मलेरिया बीमारी को देश में पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है. उक्त आशय की जानकारी देते हुए प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओपी साहा ने बताया कि मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है. मलेरिया मुख्य रूप से एक तरह का बुखार है जो किसी भी उम्र के लोगों को कभी भी हो सकता है. इसमें ठंड जैसा महसूस होने के साथ-साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार हो जाता है. हालांकि कुछ घंटों बाद पसीने के साथ बुखार उतर भी जाता है, लेकिन बुखार के आने-जाने का सिलसिला नियमित बना रहता है. फेलसीपेरम मलेरिया (दिमागी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार के साथ खून की कमी, दिमाग पर बुखार का चढ़ जाना, फेफड़े में सूजन की शिकायत के साथ ही पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान होती है. सिविल सर्जन ने बताया कि मलेरिया को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. लोगों को जागरूक करने के साथ साथ इस बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए घर के आसपास के क्षेत्रों को नियमित साफ-सुथरा रखने की जानकारी दी जा रही है जिससे वहां मलेरिया रोग फैलाने वाले मच्छरों का विस्तार न हो सके और लोग मलेरिया से सुरक्षित रह सकें. उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस की थीम ”अधिक न्यायसंगत विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना” रखा गया है.

किसी भी स्थान पर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं मलेरिया के मच्छर

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि मलेरिया फैलाने वाला मच्छर किसी स्थान पर ठहरे हुए साफ पानी और धीमी गति से बहने वाली नालियों में अंडे देती है और वहां पर पनपती है. मलेरिया के लक्षणों में सिर में तेज दर्द होना, उल्टी होना, जी मिचलाना, हाथ पैरों के जोड़ में दर्द, कमजोरी व थकान, खून की कमी, आंखों की पुतलियों का रंग पीला होना, पसीना निकलने के बाद बुखार कम होना, तेज कंपन के साथ बुखार आना आदि हैं. मलेरिया के बुखार के कारण मरीज बेहोश भी हो सकता है. मलेरिया बुखार की पहचान करने के लिए स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा आरडीटी किट से पहचान कराई जा सकती है. मलेरिया की पहचान होने पर पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए. सभी सरकारी अस्पतालों में मलेरिया की जांच और उपचार की व्यवस्था निःशुल्क उपलब्ध है. उन्होंने यह भी बताया कि मलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को सोते समय नियमित रूप से मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए.

फोटो. 25 पूर्णिया 17-जागरूकता कार्यक्रम में मौजूद डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी.

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