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सत्य का पालन करने से व्यक्ति अपने मन और विचारों को शुद्ध करता है : मुनिश्री

श्री दिगंबर जैन चंद्रप्रभु मंदिर में मुनिश्री 108 विशल्यसागर जी महाराज के प्रवचन में उमड़ रहे भक्त

आरा.

श्री दिगंबर जैन चंद्रप्रभु मंदिर में विराजमान मुनिश्री 108 विशल्यसागर जी महाराज ने पर्युषण महापर्व के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सत्य का पालन करने से व्यक्ति अपने मन और विचारों को शुद्ध करता है. जीवन उन्हीं का सच बनता है, जो कषायों से मुक्त होकर आत्मस्थ हो जाते हैं.

सत्य को पाना, सच्चा होना, सच बोलना ,ये तीनों ही चीजें हमें अपने जीवन में सीख लेनी चाहिए. सच को पाने का सीधा अर्थ है कि हम आत्मस्वरूप को प्राप्त कर लें. इस संसार में सच्चाई इतनी ही है कि हम शुद्धता को महसूस करें. हम अपनी निर्मलता का अनुभव करें और उसमें ही लीन हो जायें, आत्मस्थ हो जायें. यही सच को पाना है. निर्विकार हो जाना ही सच को पाना है. चारों कषायों के अभाव में हम जो अपनी आत्मा की शुद्ध अवस्था को प्राप्त करते हैं, वास्तव में वही सच्चाई है, लेकिन इस सच को पाना इतना आसान नहीं है. सच को पाने के लिए सच का आचरण करना पड़ेगा, भीतर से सच्चा होना पड़ेगा. जो भीतर से सच्चा हो जाता है, उसके द्वारा जो भी बोला जाता है ,वह भी सच होता है. हमारा लक्ष्य सच को पाने का हो, हमारा संकल्प सच्चे होने का हो. हम झूठ वचन से बचते रहें. यदि हम इतना पुरुषार्थ कर लेते है तो धीरे-धीरे हमारे जीवन में खूब ऊंचाई एवं अच्छाई आये बिना नहीं रहेगी. मुनिश्री ने कहा कि एक ओर जगत के समस्त पाप एवं दूसरी ओर असत्य पाप को रखा जाए और दोनों को तराजू में तोला जाए तो बराबर होंगे. सत्य तो यही है कि जो इंसान सत्य को अपना लेता है, वह समस्त दुर्गुणों से बच जाता है. असत्य अनेक पापों पर कुछ समय के लिए पर्दा डालने में अवश्य समर्थ हो जाता है.पर उस क्षण में भी जीव को तीव्र कर्माश्रव होता है, जो संसार भ्रमण का कारण है. अतः व्यक्ति को सत्य के महत्व को समझते हुए पापों से बचना चाहिए. क्योंकि एक असत्य समस्त सद्गुणों को परिवर्तित करने में सक्षम है.मीडिया प्रभारी निलेश कुमार जैन ने बताया कि पर्युषण महापर्व में सत्य धर्म का अर्थ है. हमेशा सच बोलना और सत्य के मार्ग पर चलना. यह जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है. पर्युषण पर्व के दौरान दशलक्षण धर्म के एक भाग के रूप में इसका पालन किया जाता है. इस पर्व का उद्देश्य आत्मशुद्धि करना और सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलकर नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारना है. यह पर्व व्यक्ति को सत्य, अहिंसा, करुणा और नैतिक मूल्यों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है.

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