पटना : बेटी और बेटे के बसे-बसाये घर को अब कोई बाहर वाला नहीं तोड़ रहा, बल्कि इसमें दोनों को पक्ष यानी मायके और ससुराल के लोग शामिल है. महिला थाना में ज्यादातर मामले घरेलू हिंसा के आ रहे हैं, जिनमें 80 प्रतिशत मामलों में मायके या फिर ससुराल वाले का हस्तक्षेप िमल रहा है. कई मामलों में महिलाएं अपनी हर बात मायके वालों से शेयर करती है, जिसके बाद घर में पति-पत्नी के बीच मतभेद हो जाते हैं.
मायके वालों के प्रति प्यार से दरार : इनमें पत्नी द्वारा अपनी हर छोटी-छोटी बातों को शेयर करना. पति को नीचा दिखाते हुए भाई की तारीफ करना. मायके जाने पर वापस आने पर न नुकुर करना. कई बार तो मायके के लोग बेटी को घर रखकर वापस जाने नहीं देते. ससुराल भी इसमें पीछे नहीं. यहां ननद की ओर से भाभी को ताना मारना. कई बार भाभी द्वारा छोटी-छोटी बातों को मन से लगा कर शिकायत करना. भाई को लेकर खास ख्याल दिखाना. दूसरे घर से आयी से ससुराल में दोगुना काम करवाना. साथ ही बेटे के सामने उसकी गलतियां बताना आम बात हो गयी है.
केस: कदमकुआं की रहने वाली मीता (काल्पनिक नाम) ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज की. उसने शिकायत की थी कि उसके सास-ससुर हमेशा उसे ताना देते थे कि उसके आने से उनका बेटा उनकी बातें नहीं सुनता. कभी खाने में कमियां निकालती थी और कई बार तो हाथ भी उठाया है. यही नहीं अब तो पति भी उनकी बातों में आकर मारते हैं. दोनों परिवारों की काउंसेलिंग की गयी जिसके बाद कपल अब साथ रह रहे हैं.