अनुपम कुमार
-छह विरासत स्थलों में न साइट अटेंडेंट हैं न होमगार्ड के जवान
पटना : पटना शहर में बिहार पुरातत्व निदेशालय के द्वारा संरक्षित छह विरासत स्थल हैं. इनमें से किसी में साइट अटेंडेंट नहीं है. इनकी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने स्थायी बहाली की जगह इन स्थलों पर होमगार्ड की तैनाती करने का फैसला किया, लेकिन होमगार्ड भी छह में से केवल दो जगहों के लिए मिले हैं. बाकी चार में इनकी तैनाती नहीं की गयी है. ये पूरी तरह भगवान भरोसे हैं और कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है.
गोलघर के होमगार्ड के जिम्मे ही मॉरिशन बिल्डिंग की सुरक्षा
मॉरिशन बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए भी अब तक साइट एटेंडेंट या होमगार्ड के जवान तैनात नहीं किये गये हैं. बगल में स्थित गोलघर में तैनात होमगार्ड के जवान ही इसकी देखरेख की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. हालांकि पहले से ही कम संख्या के कारण इनके लिए भी यह जिम्मेदारी निभाना बेहद मुश्किल हो गया है.
पुजारियों के भरोसे अगमकुआं और बड़ी पटनदेवी
बड़ी पटन देवी मंदिर संरक्षित स्थलों में शामिल है लेकिन वहां न तो कोई साइट एटेंडेंट है और न ही होमगार्ड. वहां की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह पुजारियों के हाथ में है. अगमकुआं की सुरक्षा व्यवस्था भी बगल में स्थित शीतला माता मंदिर के पुजारी और प्रबंधन समिति ही करती है.
दो गार्डों के भरोसे चौबीस घंटे की सुरक्षा
दुरुखी देवी मंदिर की सुरक्षा के लिए दो होमगार्ड तैनात किये गये हैं. 24 घंटे की निगरानी के लिए इनमें से हरेक गार्ड को 12-12 घंटे की डयूटी करनी पड़ती है. जरूरत के अनुसार यहां कम से कम तीन गार्ड होना चाहिए था ताकि आठ आठ घंटे के तीन शिफ्ट में तीनों मिल कर डयूटी कर सकें.
बाहर के स्मारकों की ऐसी ही स्थिति
प्रदेश में इस समय 48 संरक्षित विरासत स्थल हैं. इनमें से 42 स्मारक पटना से बाहर स्थित हैं. पटना से बाहर स्थित स्मारकों में भी साइट अटेंडेंट नहीं हैं और इनमें से कई बिना होमगार्ड के ही हैं.
गोलघर में जरूरत आठ गार्ड की, मिले केवल चार
गोलघर में जरूरत आठ गार्ड की है. इसके लिए पुरातत्व निदेशालय द्वारा लिखा गया था, लेकिन होमगार्ड समादेष्टा के द्वारा केवल चार गार्ड ही उपलब्ध करवाये गये. कभी कभी उपलब्ध गार्डों की संख्या घट कर केवल तीन ही रह जाती है. ऐसे में वहां की सुरक्षा व्यवस्था की ठीक से निगरानी करना मुश्किल हो गया है.
बेगू हजाम की मस्जिद भी असुरक्षित
बेगू हजाम की मस्जिद पटना की एक महत्वपूर्ण विरासत स्थल है जिसके महत्व को देखते हुए वर्षों पूर्व राज्य पुरातत्व निदेशालय ने उसे संरक्षित करने की घोषणा की थी. लेकिन लंबे समय से वहां न तो कोई साइट एटेंडेंट है और न ही होमगार्ड के जवान तैनात किये गये हैं. स्थानीय प्रबंधन समिति की देखरेख भी बेहतर नहीं है.
साइट अटेंडेंट की कमी को दूर करने के लिए होमगार्ड की तैनाती का निर्णय लिया गया है. होमगार्ड के समादेष्टा को लिखा गया है. गोलघर और द्विरूखी देवी मंदिर के लिए होमगार्ड दिये गये हैं, लेकिन अन्य जगहों के लिए गार्ड अब तक नहीं मिले हैं.
-अतुल कुमार वर्मा, निदेशक, राज्य पुरातत्व निदेशालय