पटना : दीपावली का इंतजार सभी को बेसब्री से रहता है. खास कर बच्चे दीपावली के दिन पटाखे फोड़ने का इंतजार साल भर करते हैं. लेकिन इन पटाखों से होने वाले प्रदूषण का लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. बदलते जमाने के हिसाब से बाजार भी लोगों के अनुकूल अपने आप को ढालता रहा है. पटाखों के बाजार में भी बदलाव बड़े शहरों में दिखने लगा है. दिल्ली, वाराणसी और ग्वालियर के अलावा विभिन्न शहरों में इको फ्रेंडली पटाखे बिकने लगे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर भी ग्रीन पटाखे को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है. मगर अपने शहर के पटाखा कारोबारियों का कहना है कि अभी तक मार्केट में ग्रीन पटाखे आये ही नहीं हैं और न ही यहां के लोगों ने डिमांड की है. ऐेसे में हमें भी बिजनेस करना है इसलिए अगर पटाखे बेचने का लाइसेंस सरकार हमें देती है तो, हम जरूर बेचेंगे.
दूसरे राज्यों में भी 30 प्रतिशत तक ही पहुंच : कारोबारियों की मानें तो दिल्ली, वाराणसी और ग्वालियर जैसे शहरों में भी इको फ्रेंडली पटाखों की खेप कम ही पहुंची है. लोगों की डिमांड के हिसाब से मात्र 30 प्रतिशत तक ही ऐसे पटाखे मार्केट में उपलब्ध हैं. इको फ्रेंडली पटाखों में मैजिक पाइप, सुपर सिक्स, मैजिक अनार, फुलझरी आदि मिलती है.
क्या हैं इको फ्रेंडली पटाखे
इको फ्रेंडली पटाखे बारूद वाले पटाखे की तुलना में बहुत ही कम धुआं छोड़ते हैं. इसे बनाने का रासायनिक फॉर्मूला अलग होता है. इसमें पुराने प्रदूषक बारूदों की जगह दूसरे वैकल्पिक रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इससे निकलने वाली आवाज भी 35 से 40 डेसीबल के आस-पास रहती है. सामान्य पटाखे प्रदूषण को जहां बढ़ाते हैं, वहीं चकाचौंध रोशनी, उच्च डेसीबल के पटाखे अंधता और बहरापन की वजह भी बनते हैं.