नयी दिल्ली : भारत की शीर्ष कंपनियों में 53 प्रतिशत ऐसी हैं जहां महिला कर्मचारियों की संख्या पुरुषों के मुकाबले 10 प्रतिशत से भी कम है. वहीं देश की 70 प्रतिशत बड़ी फर्मों में दिव्यांग कर्मचारियों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है.
14 सिविल सोसायटी संगठनों वाले थिंक टैंक ‘कॉरपोरेट रेस्पांसिबिलिटी वाच’ (सीआरडब्ल्यू) ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि भारत की 300 शीर्ष कंपनियों में से महज 39 ने अपने यहां काम करने वाले अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कर्मचारियों से जुड़ी जानकारी आराम से साझा की.
सीआरडब्ल्यू ने बीएसई में सूचीबद्ध शीर्ष 500 कंपनियों में से 300 से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया है. उसमें दावा किया गया है कि पूरे पूर्वोत्तर को कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत महज 29.9 करोड़ रुपये मिले हैं जबकि महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा 2,482.75 करोड़ रुपये मिले हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 में कुल 16,785 कंपनियों ने सीएसआर में 10,065 करोड़ रुपये लगाये.