बिहार की महिलाएं अब किचेन में आग पर खाना पकाने के साथ ही कहीं अगलगी की घटना होने पर आग बुझा भी रहीं है. जी हां, बिल्कुल प्रोफेशनल तरीके से वह उंची इमारतों पर चढ़ कर आग में फंसे लोगों को निकाल उनकी जान बचा सकती हैं. आग पर कंट्रोल कर सकती है. यह सब कर रही है बिहार फायर ब्रिगेड की महिला फायर फाइटर. कुछ समय पहले तक फायर ब्रिगेड में महिलाएं नहीं के बराबर होती थी लेकिन मौजूद दौर में महिलाएं यहां भी अपनी काबलियत का लोहा मनवा रही है. बिहार फायर ब्रिगेड में अभी 27 महिलाएं अपनी सेवा दे रही हैं. इनमें से आठ पटना में और बाकि विभिन्न प्रमंडल मुख्यालयों में कार्यरत है. अपने काम से इन्हें इतना प्यार है कि कहती है हम सिर्फ नौकरी नहीं करते बल्कि समाज सेवा भी करते हैं.
इन 27 में से ज्यादातर स्नातक तक पढ़ी लिखी हैं. चाहती तो कोई और काम भी कर सकती थीं, लेकिन आग से खेलना अब इनका शौक और जुनून बन चुका है. इनका मानना है कि महिलाओं का आग से गहरा संबंध है, घर परिवार में हजारों साल से महिलाएं खाना बनाती रही हैं लेकिन अब आग पर कंट्रोल करना ज्यादा पसंद है.
2015 में अग्निक या सिपाही के पद पर इन 27 महिलाओं ने ज्वाइन किया था. बिहटा स्थित ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग लेकर 2016 से यह महिलाएं बिहार के विभिन्न जिलों में अपना योगदान दे रही हैं. आग पर कंट्रोल करने की इन्हें पुरूषों की तरह ही कठोर ट्रेनिंग दी गई है. यह उंची इमारतों पर रस्सी के सहारे चढ़ सकती है. आग की शिकार इमारतों में घिरे लोगों को नीचे सुरक्षित उतार सकती है. इतना ही नहीं यह महिलाएं बिहार फायर ब्रिगेड की ओर से आग से बचाव के लिए होने वाले जागरूकता कार्यक्रम में यह काफी बेहतर तरीके से लोगों को जागरूक करती है. खासतौर से महिलाओं के बीच जाकर यह बखूबी जागरूकता फैलाती है. इनकी उपयोगिता अागलगी की घटना के दौरान महिलाओं को बचाने में खासतौर से है.
फायर फाइटर सीमा कुमारी कहती हैं कि इस जॉब के जरिये मुझे समाज सेवा करने का मौका मिला है, मुझे अपने काम से प्यार है. यही कारण है कि मैं बीएमपी को छोड़ यहां आ गई. महिलाएं अब पुरूषों से कम नहीं है इसे हम लोगों ने साबित कर दिया है. बिहार फायर ब्रिगेड में पटना के कमांडेंट अनिरूद्ध प्रसाद कहते हैं कि फायर ब्रिगेड में काम करना एक इमेरजेंसी सर्विस है. इसमें पूरे बिहार से 27 महिलाएं काम कर रही है. हमारे यहां पटना में आठ पोस्टेड हैं. सभी हर पल आग से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहती हैं.