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सामान्य और स्पेशल बच्चे एक साथ पढ़ सकेंगे 40 कहानियों की किताब
रांची : सिलेबस चाहे एक हो, लेकिन जब किताब पढ़ने की बात आती है, तो सामान्य बच्चों और स्पेशल बच्चों के लिए इनकी लेखनी अलग-अलग हो जाती है.दोनों तरह के बच्चों के लिए अलग-अलग किताबें न लिखनी पड़े इसके प्रयोग के तौर पर एनसीइआरटी ने एक किताब प्रकाशित की है. यह किताब 40 विभिन्न तरह […]
रांची : सिलेबस चाहे एक हो, लेकिन जब किताब पढ़ने की बात आती है, तो सामान्य बच्चों और स्पेशल बच्चों के लिए इनकी लेखनी अलग-अलग हो जाती है.दोनों तरह के बच्चों के लिए अलग-अलग किताबें न लिखनी पड़े इसके प्रयोग के तौर पर एनसीइआरटी ने एक किताब प्रकाशित की है. यह किताब 40 विभिन्न तरह की कहानियों का संग्रह है. इस किताब को सामान्य और फिजिकल समस्या से जूझ रहे बच्चे भी पढ़ सकते हैं. लगभग डेढ़ साल में तैयार की गयी इन किताबों में प्रेरक और मनभावन कहानियां चित्रों के माध्यम से बतायी जा रही हैं.
छूकर कर समझ सकेंगे अर्थ
इस किताब की लेखनी कुछ ऐसी है, जिसकी वजह से यह सामान्य और स्पेशल दोनों तरह के बच्चों के बीच कॉमन है. कहानी के शब्दों को ब्रेल लिपि में लिखा गया है़ ऐसा लिखने के पीछे का उद्देश्य उन बच्चों को राहत देना है, जो बच्चे देख नहीं सकते हैं. ऐसे बच्चे शब्दों की पहचान छूकर कर सकेंगे. इसके अतिरिक्त किताब में एक विशेष खासियत भी है. इसके तहत यदि कहानी में कहीं कोई कठिन शब्द आ जाता है, तो उसका अर्थ अलग से समझाने के लिए वहीं पर एक खांचा खींचा गया है.
जिसे छूकर उस कठिन शब्द का अर्थ नेत्रहीन बच्चे समझ सकते हैं. इससे उन्हें कहानी समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी.नॉर्मल और स्पेशल बच्चाें के लिए एक समान बुक तैयार करने का कांसेप्ट बेहद सराहनीय है. इससे सभी स्टूडेंट्स खुद को बराबर महसूस कर सकेंगे. कहानियां सभी को पसंद होती हैं. हजारों विद्यार्थी ऐसे हैं, जो देख नहीं पाते हैं या सुन नहीं सकते हैं या फिर ऑटिज्म जैसे गंभीर बीमारी से पीड़ित होते हैं. ऐसे में इन किताबों से वे अपना कहानी पढ़ने का शौक पूरा कर सकेंगे.
जल्द आयेगा डिजिटल वर्जन
पुस्तक बनाने में इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि पन्ना पलटाने से लेकर किताब के अगले और पिछले कवर पेज और सभी पन्नों को पहचानने में बच्चों को कोई दिक्कत न हो. इसके लिए अलग-अलग रंगों और उभारों का इस्तेमाल किया गया है. इन किताबों के साथ इनका डिजिटल वर्जन भी लाया जा रहा है. देश में दाे फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो किसी न किसी तरह की फिजिकल समस्या का शिकार हैं. बच्चों की क्षमताएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन आगे बढ़ने की ललक और सीखने की इच्छा एक जैसी है, इसी बात को ध्यान में रखकर ये किताबें तैयार की गयी हैं.
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