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पत्तेदार सब्जियों के सेवन से एनिमिया में होगा लाभ
न्यूट्रिशनल एनिमिया में लाल रक्त कण की कमी हो जाती है. खून में हीमोग्लोबिन आॅक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाने का काम करता है. हीमोग्लोबिन कम होने का मुख्य कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी है. इसलिए खान-पान में सुधार कर इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है. एनिमिया के कई कारणों […]
न्यूट्रिशनल एनिमिया में लाल रक्त कण की कमी हो जाती है. खून में हीमोग्लोबिन आॅक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाने का काम करता है. हीमोग्लोबिन कम होने का मुख्य कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी है. इसलिए खान-पान में सुधार कर इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है.
एनिमिया के कई कारणों से हो सकता है, जैसे- खून की कमी, लाल रक्त कणों (RBC) का टूटना, लाल रक्त कणों की कमी आदि. आयरन की कमी, विटामिन B12 की कमी, फोलिक एसिड की कमी, मेंस्ट्रुअल पीरियड के दौरान अधिक स्राव, दूध पिलानेवाली माताओं को, आमाशय एवं छोटी आंत में कृमि का संक्रमण, धूम्रपान करने से, सिकल सेल एनिमिया की बीमारी में, कुछ दवाएं जो आयरन के अवशोषण को कम करता हो से एनिमिया होने का खतरा होता है.
एनिमिया के मुख्य लक्षण : सुस्ती रहना, जल्दी थक जाना, जल्दी-जल्दी सांस लेना, घबराहट, हाथ-पांव फूलना, अत्यधिक पसीना आना, उलटी आना, आदि लक्षण देखे जा सकते हैं. एनिमिया से ग्रसित लोगों को हेल्दी डायट का लेने पर ध्यान देना चाहिए. हरी पत्तेदार सब्जियों की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए, जिससे आयरन व विटामिंस की कमी नहीं होगी.
पालक साग : पालक और पोई के साग में कैल्शियम, विटामिन A, B9 और विटामिन C बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में होता है. आधा कप उबले पालक के साग में 3.2 एमजी आयरन पाया जाता है. इसलिए प्रतिदिन इसका सूप बना कर दो बार पीने से एनिमिया में काफी लाभ मिल सकता है.
बीट रूट : 100 ग्राम बीट रूट में 1.86 एमजी आयरन होता है. यह RBC को रिपेयर करता है. आॅक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाने में मदद मिलती है. रोज सुबह एक गिलास बीट रूट का जूस लेने से RBC में वृद्धि होती है.
रेड मीट में है हीम प्रोटीन : रेड मीट में 1-2.5 एमजी आयरन पाया जाता है. हफ्ते में 2-3 दिन रेड मीट और लिवर के सेवन से को RBC की संख्या में वृद्धि होती है. वहीं प्रतिदिन एक ग्लास टमाटर जूस से एनिमिया के मरीज को लाभ पहुंचता है. अंडे में प्रोटीन होता है. जो हीमोग्लोबीन को बढ़ाने में मदद करता है. इसके साथ ही सोयाबीन, काबुली चना, सेम, राजमा इत्यादि चीजों में आयरन, विटामिन और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. इन्हें गरम पानी में भिगो कर प्रयोग करने से phytic acid को हटाया जा सकता है. इससे आयरन के अवशोषण में मदद मिलती है.
Whole grain bread : यह प्रति स्लाइस 06 प्रतिशत प्रतिदिन का आयरन सप्लाइ करता है. यह फर्मेंटड भोज्य पदार्थ है. इसलिए यह phytic एसिड को कम कर आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है. पिस्ता और अखरोट भी आयरन के अच्छे स्रोत हैं. इनमें प्रति 100 ग्राम में 15 मिलीग्राम आयरन होता है. प्रतिदिन 6-7 पिस्ता के सेवन से आयरन की मात्रा को शरीर में संतुलित रहती है.
सेब और खजूर : प्रति 100 ग्राम सेब में 0.12 एमजी आयरन पाया जाता है. इसमें विटामिन सी भी पाया जाता है, जो ‘नॉन हीम’ आयरन के अवशोषण में मदद करता है.
प्रतिदिन एक सेब एवं 10 खजूर की मात्रा लेने से शरीर में आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है. कुछ आहार ऐसे हैं, जो आयरन को बांध कर रखते हैं काफी, चाय, कोला, एंटीएसिड, फाइबर एवं कैल्शियमवाला आहार आयरन के अवशोषण को बाधित करता है. गांवों में एनिमिया से लोगों को बचाने के लिए सरकार ने नेशनल न्यूट्रीशनल एनिमिया प्रोफायोलैक्सिस प्रोग्राम चलाती है. आयरन एवं फॉलिक टैबलेट गर्भवती महिलाओं को तिमाही महीने में एवं स्कूली बच्चों को एमसीएच के तहत दिया जाता है.
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